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रघुवरजसप्रकास
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अथ गीत गहांणी वेलियौ सांणोर लछण
गाहा लछण ग्रंथरै, वदियौ आद विचार । सुज बेलियौ सांणोररौ, लिखियौ लछण लार ॥ २८५ पहली गाही पर वजै, गीत दूहौ यक पच्छ । फिर गाहौ दूहौ सुफिर, गीततणौ दख दच्छ ॥ २८६ च्यारू गाथा गीतरा, च्यार दूहां धुर तथ्थ । गाहा सामिळ गीत जिण, नाम गहांणी कथ्थ ॥ २८७
२८५. लछरण-लक्षण । वदियो-कहा। प्राद-आदि, शुरूपातमें। सुज-ौर । लार-पीछ । २८६. यक-एक । पच्छ-पश्चात । गीततणौ-गीतका। दख-कह ।
नोट- :-प्राचीन राजस्थानीमें पूर्ण विराम का चिन्ह ।
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