________________
रघुवरजसप्रकास
अथ गीत ललित मुकट उदाहरण
गीत
वडा भाग ज्यांरी विसू, लछबर चरणां लाग । पाव रांम गुण प्रीतसूं, आठ पहर अनुराग ॥ राघव अनुरागी भव बडभागी मति सुभ लागी पंथमही । हरि संत कहांही जम भय नांही स्यंध तिरांही सुभ वसही ॥ कहि सिव सनकादं धू प्रहळद ग्रहपत बाद जेण जपै । सुक नारद व्यासं जल कहि जासं थिर कर तासं दास थपै 11 थपे दास कर सथर, रघुबर किता अरोड़ | बिरद पीत 'सागर' बिये, मीततकुळ मौड़ | मौड़ कुळमीता धरि जीता, लख जस लीता वन खै । दास उधारे सरण - सधारे रांमण मारे सुमन सखै ॥ सुग्रीव सकाजा रच कपिराजा भूपत निवाजा भ्रात भये । भुरजास भभीखण क्रत दत कंचण साख पुरांगण वेद सुणे || सु छकोटा तन सुजस, रिम दोटा सुर रंज । धन राघव मोटा धणी, भव जन तोटा भंज ॥
Jain Education International
[ ३०७
२६६. ज्यांरी - जिनकी । विसू-भूमि । लछबर - लक्ष्मीपति । गुण-यश । श्रनुराग- प्रेम । अनुरागी - प्रेमी । भव - संसार, जन्म | बडभागी - बड़ा भाग्यशाली । मति- बुद्धि । जम - यमराज | स्यंध (सिंधु) - समुद्र । धू -भक्त ध्रुव । ग्रहपत - शेषनाग | श्रादआदि । जेण - जिसको । जासं जिसका । थिर-स्थिर, दृढ़ । तासं उसको । दासभक्त । थप - स्थापित करता है । थपे - स्थापित किये । सथर (स्थिर) - अटल । किता - कितने । श्ररोड़ - जबरदस्त । सागर-सूर्यवंशी एक राजाका नाम । बियेवंशज, दूसरा । मीततणकुळ- सूर्यके वंशका | मौड़ - श्रेष्ठ । कुळमीता - सूर्यवंश । अवन - पृथ्वी, संसार । श्रख - कहता है । सरण-सधारे - शरण में आए हुएकी रक्षा की । सुमन - देवता । सखे - साक्षी देते हैं । ऋत - किया । दतदान | कंचन - सुवर्ण, सोना। छकोटा - समूह, पुँज । रिम-शत्रु । दोटा-नाश । सुरदेवता । रंज- प्रसन्न कर । भव-संसार, जन्म । तोटा कमी, प्रभाव, हानि । भंज
श्रुत-बहुत
नाश ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org