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रघुवरजसप्रकास
अथ गीत ग्ररट मात्रा छंद लछण
हौ
धुर ठार ग्यारह दुती, सोळ व्रती चव ग्यार । सोळ ग्यार कम अंत लघु, अरट गीत उचार ॥ २१३
अरथ
रट गीत सांणोर गीत छै पण सात सांणोर गीतांसूं भिन्न छै । दूजी चौथी तुक ग्यारै मात्रा, यौ भेद छे जींसूं जुदो कही दिखायौ छै । पै'ली तुक मात्रा ग्रठारै होय । दूजी तुक मात्रा ग्यारै होय । तीजी तुक मात्रा सोळ होय । चौथी तुक मात्रा ग्यारै होय । पछे सोळं ग्यारै ईं क्रमसूं पाछली तीन ही दूहां मात्रा होय । दूजी चौथी तुकरे तुकांत लघु होय, जीं गीतनै प्रस्ट नांम सांणोर कहीजै । कोई ईनै उमंख नांम गीत पिण कहै छै । त्राटको पण योही कहीजै, जींसूं त्राटको पण द नहीं को छै ।
अथ गीत अरट सांणोर उदाहरण गीत धन राघव हाथ अभंग धुरंधर, आथवरीस संक । दीघ भभीखण आस्रय देख कर, लीघ बिना दत लंक ॥ बाळ महाबळ घायक भूबळ, सारंग सायक संठ । भ्रात कहेस किकंधपुरी भल, कीध नरेस सुकंठ ॥ संत अनाथ 'दस सायक, धू पहळाद उधार | कांम उबारण प्राय सकारण, बारण तारण बार ॥ २१३. ग्यार-ग्यारह । दुती-दूसरी । सोळ - सोलह । ती (तृतीय) - तीसरी । चव- चौथी, चतुर्थ | पण - परन्तु । यौ-यह । जुदौ- पृथक, अलग । पर्छ - पश्चात | पाछलीपीछेकी । पिण-भी । पण भी । योहो-यही ।
नोट -- रघुनाथरूपकमें जो त्राटका गीत है वह गीत इस गीतसे भिन्न है ।
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२१४. प्राथवरीस रुपयोंका दान देने वाला । दीध दिया। भभीषण-विभीषरण । लोधलिया, ली। दत दान। बाळ-बालि वानर । धायक - संहारक । सारंग - धनुष । सायक-तीर, बाण । संठ - मजबूत, दृढ़, जबरदस्त । किकंधपुरी - किष्किंधापुरी | भलठीक । कीध किया। नरेश राजा । सुकंठ-सुग्रीव । धू -भक्त ध्रुव । पहलादभक्त प्रह्लाद | बारण- गज ।
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