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________________ रघुवरजसप्रकास अथ गीत द्वौ वरण छंद उदाहरण गीत तवं विरूद तास रे । अभंग रांम आस रे ॥ प्रसिद्ध सिंध पाज रे । रहूं अधार राज रे ॥ पटैत रूप पांगरा, खळां भराथ खांणरा । सुखी रहूं सुजांगरा, भरोस वंस भांगरा ॥ जनां निबाह लाज रे, प्रसन्न दास प्रीतरा, बियार जुधां दयंत जीतरा, सरंम दुखै 'किसन्नदास' रे, सदा वसां हुलास रे, सुकीरती समाज रे, Jain Education International अत्थबीतरा । नाथसीतरा ॥ १७६ अथ गीत दूणौ अट्ठौ वरण छंद लछण दूहौ छंद धनाराचरी, चौ तुक हेक दवाळ | वरण छंद सौ गीत वद, दूणौठौ दिखाळ ॥ १८० अरथ ब्रधनाराचरी च्यार तुकांरी ग्रेक दवाळौ होय सौ सावझड़ो गीत दूणौ प्रठौ कहावै । लघु गुरु ईं क्रमसूं तुक प्रेक प्रत अखिर सोळह होय । इण प्रकार सोळं ही तुकां होय सौ दूणौ अट्ठी गीत तुकंत गुरु वरण छंद छै । अथ गीत दूणी अट्ठी सावझड़ौ उदाहरण गीत विभाड़ पंचदूमाथ आथ देण मकार ध्यान कंज सौ वसै रदा | २६१ वेस रे I महेसरे ॥ तास-तेरे । हुलास - आनन्द, 1 सिंध - समुद्र । पाज-सेतु, पटैत- वीर, योद्धा । पांणरा १७६. देखे - कहता है । तबूं-स्तुति करता हूँ, वर्णन करता हूँ । हर्ष । प्रभंग नहीं भागने वाला, वीर । श्रासरे - आश्रय में पुल । निबाह - निभाने वाला । राजरे - श्रीमानके, आपके । शक्तिका । भराथ-युद्ध | खांणरा-ध्वंश करने वाला, नाश करने वाला । भरोसविश्वास, भरोसा | भांग - सूर्य । दयंत- देने वाला अथवा दैत्य । नाथसोतरा - सीतानाथके । १५०. दवाळ - गीत छंढके चार चरणोंका समूह । दिखाळ - दिखला दे, दिखला । For Private & Personal Use Only १८१. विभाड़ - ध्वंश कर, संहार कर । पंचदूणमाथ - रावण । श्राथ-धन, द्रव्य । मकारमध्य । कंज - ब्रह्मा । रदा - हृदय । महेसरे - महादेवके । www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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