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रघुवरजसप्रकास
[ २५७ तवै भू अहल्या गणका तिराई, रटां बोर भीलीतणा खाय रीधौ । सरां ताड़का मार ऊधार समिी, करां ग्रीधवाळौ वळे साध कीधौ ॥ रदा सिंभ वांमे सदा अकरंगी, गवै जास पंगी नरां बेद गाथां । तनां खीणहूंतो मुणै भ्रात तोनूं , हणे बाळ सुग्रीव दे राज हाथां ॥ कसौ जोड़ भूमंड तै ओर कीजै, भुजाडंड मोटा ब्रदां जोग भाळौ । अठुजांम जीहां 'किसनेस' आखै, वडौ आसरौरांम पै कंज वाळौ ॥१७१
अथ गीत वडी सांणोर अहरणखेड़ी लछण
तेवीसह मत पहली तुक, बी अठार ती बीस । चौथी तुक अठार चव, लघु तुक अंत लहीस ॥ १७२ वडा जेण सांणोर बिच, पवरग ऊ न पयंप । अहरणखेड़ी नाम उण, जस राघव मझ जंप ॥ १७३
प्ररथ पैली तुक मात्रा तेवीस । दूजी तुक मात्रा अठारै । तीजी तुक मात्रा बीस । चौथी तुक मात्रा अठारै होय सौ गीत बडौ साणोर कहावै । अंत लघु होय । जी बडा सांणोरमें पवरगरा पांच आखर प फ ब भ म अर ऊ व, श्रे सात पाखर सारा गीत में न होय अर गीत पढतां होठ मिळे नहीं, जी गीतरौ नाम अहरणखेड़ी कहीजै । अहर-होठ न खेड़ी कहतां खड़े नहीं, हालै नहीं यौ अरथ छ ।
१७१. तव-स्तुति करते हैं । भू-संसार । भीली-भिल्लनी । वळे-फिर । कीधौ-किया। रदा
हृदय । सिंभ-शंभू, शिव । गदै-गाया जाता है। जास-जिसका। पंगी-कीति, यश । मुणे-कहता है । तोनू-तुझको । बाळ-बालि वानर । कसौ-कौनसा । जोड़-बराबर, समान । भमंड-भुमंडल । भजाउंड-शक्तिशाली, समर्थ । जोग-योग्य । भाळी-देखो। अळूजांम-अष्टयाम । जीहा-जीभ । प्राख-कहता है। प्रासरौ-सहारा । पै-चरण ।
कंज-कमल । १७२. मत-मात्रा। बी-दूसरी। ती-तीसरी। चव-कह । लहीस-लेगा। १७३. पयंप-कह । मझ-मध्य । जंप-कह । सौ-वह । यौ-यह।
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