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रघुवरजसप्रकास
[ ३
भगण आाद गुरु नगणसौ, त्रिलघु चिहु सुभ जोय ॥ ७
रगणमध्य लघु सगणरै, अंत गुरु
लघु अंत |
तगण मध्य गुरु जगण , च्यारू'
असुभ कहंत ॥ ८
गणागण देवता *
दूहौ
देव धरा जळ चंद ह, आग पवन नभ भांग |
फलाफल
सुख मुद मंगळ घी जळण । दुख निफळ घर हांण ॥ ६
७. चिहुं चार ।
६. श्रह - स्वर्ग | भांण- सूर्य ।
जळण - दाह । हांण-हानि ।
नाम
मगरण
यगरण
भगरण
नगरण
रगरण
सगरण
तगरण
जगरण
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*गरणागण देवता और उनके फलाफल
रूप
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देवता
पृथ्वी
जल
चंद्र
स्वर्ग
अग्नि
पवन
नभ
भानु
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फल
सुख
प्रसन्नता
मंगल
धी
दाह
दुख
निष्फल
गृह हानि
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