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________________ २५४ । रघुबरजसप्रकास अथ गीत सुखरौ उदाहरण गीत पैंडां नीतरा चलाक धू छ-च्यार भंज पलीतरा । सूर धीर चीतरा अछेह अोप संस ॥ धीतरा कीतरा रिखी सुकंठ मीतरा धनौ । वाहरू सीतरा रांम अदीतरा वंस ॥ वंदनीक पायरा गायरा दुजां विसावीस । आसुरां भंजणा आडे घायरा अमाव ॥ अडोळ पायरा सीह सुभायरा आसतीक । सिहायरा जनां औधरायरा सुजाव ॥ खेस जंद द्वंद राम दंधरा सिंघार खरा । दहै बाळरा स्रीनंदरा भांण दात ॥ दासरथी सिधरा अबंधरा बंधरा देण । __ पंच दूण कंधरा कबंधरा निपात ॥ हणू जिसा किंकरा पधोर के वंकरा हल्लां । जूधां जीत अनंकरा रोड़णा जोधार ॥ १६६. पैंडा-कदमों। नीतरा-नीतिके । चलाक-चलने वाला। धू-शिर । छ-च्यार-दस । पलीतरा-असुरके । अछेह-अपार । रिखी-ऋषि । सुकंठ-सुग्रीव । मीतरामित्रके। धनौ-धन्य । वाहरू-रक्षक । सीतरा-सीताके । अदीतरा-सूर्यके । वंदनीक-वंदनीय । पायरा-चरणोंके । दुजां-ब्राह्मणों। विसावीस-पूर्ण । प्रासुरांराक्षसों। भंजण-संहार करने वाला। प्राडे-विरद्ध। घायरा-प्रहारका | प्रमापअपार । अडोल-दृढ़, अटल । पायरा-चरणका । सीह-सिंह । सुभायरा-स्वभावका । प्रासतीक-समर्थ, शक्तिशाली, आस्तिक । सिहायरा-सहायताके । जनां-भक्तों। औधरायरा-राजा दशरथके । सुजाव-पुत्र । खेस-असुर । जंद-असुर । द्वंद-युद्ध । सिंघारविध्वंश । दासरथी-श्री रामचन्द्र । सिंधरा-समुद्र । प्रबंध-बंधनरहित । बंधराबंधनका । देण-देने वाला। हणूं-हनुमान । जिसा-जैसा। किंकरा-सेवक । पधोरसीधा करने वाला । वंक-वक्र । अनंकरा-नगाड़ाके। रोडणा-बजाने वाला। जोधारयोद्धा, वीर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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