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रघुवरजसप्रकास हड़ड़ नारद बीर हड़हड़।
धड़ड़ आतस सिखर धड़हड़। गहड़ बिखम बंक गड़गड, गडड़ धर नभ गाज ॥ पड़ मार तरवर पाथरां, रिण विकट कपी रघुनाथरां । दससीस दळ भुजबळां, द्रहवट कीध अडर सकोप ॥
नभ खंचरथ अवनाड़रा। खिलकत कौतूक राड़रा। दळ प्रबळ चौवळ कळळ दमंगळ । भळळ बीजळ सेल भळहळ । अहप सिर लळ अचळ चळ यळ । वाज हंकळ कळळ वळवळ । खळळ चळवळ सरित खळहळ । समळ पळगळ लीध सांमिळ ।
मिळ कमळ स्रगनेत मंगळ । जुध वयळ कुळ नमळ चढ जळ, अचळ राघव ओप ॥ धख हणू भुजब्रद धारखा, सूग्रीव अंगद सारखा ।
नळ नील दध-मुख पणस नाहर, बिहद जंबूवांन ॥ १५६. हडड-हंसनेकी ध्वनि । हडहड़-हंसने की ध्वनि । धडड-तोपोंकी ध्वनि । बिखम
विषम । गड़गड़-नगारेकी ध्वनि, नगाड़ा बजना। गडड-ध्वनि विशेष । नभआकाश । तरवर-वृक्ष । पाथरां-पत्थरों। रिण-युद्ध । विकट-भयंकर । दससीसरावण । दळ-सेना । भजबळां-भजाबलसे । द्रहवट-ध्वंश, नाश । प्रवनाडरा-सर्यका। राड़रा-युद्धका । चौवळ-चारों ओर । कळळ-कोलाहल । दमंगळ-युद्ध । भळळ-चमक, दमक । बीजळ-तलवार । सेल-भाला। भळहळ-चमक, दमक । अहप-शेषनाग । लळ-झुक जाते हैं, झुक गये । अचळ-पर्वत । चळ-चलायमान । यळ (यला)-पृथ्वी। वाज-घोड़ा। हुंकळ-घोड़ोंकी हिनहिनाहटकी ध्वनि । कळळ-कोलाहल । वळवळचारों ओर । खळळ-द्रव पदार्थके बहनेकी ध्वनि । चळवळ-रक्त, खून । सरित-नदी। खळहळ-बहने लगी । समळ-मांसाहारी पक्षी विशेष । पळ-मांस । गळ-पिंड, कौर । वयळ-सूर्य। नमळ-निर्मल । जळ-कांति, दीप्ति । अचळ-अटल । प्रोप-कांति । हणू-हनुमान । सारखा-समान । जंबूवान-जामवन्त ।
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