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________________ १६२ ] तीकम वाहर रघुवरजसप्रकास करै तीसरी नाथ अनाथां ताळी | वाळी ॥ ५४ अथ बड़ा सांगौर याद सप्त गीत निरूपण अथ गीत बड़ा सांणौर लछण चौपई धुर तुक कळ तेवीसह धार, विखम वीस सम सतर विचार | लघु गुरु मोहर क दुगुरु मिळाय, सौ प्रहास सांगौर सुभाय ॥ ५५ वीस विखम तुक सम दस आठ, पात गुरु लघु मोहरै पाठ | समझ सुध सांगौर सकोय, जिण मोहरै गुरु लघु कवि जोय ॥ ५६ सुज मिळ सुध प्रहास सुजांग, वडौं जिको सांगौर वखांण ॥ ५७ Jain Education International वारता कठे'क लघु तुकंत दवाळौ कठे' क गुरु तुकत दवाळी प्रावै । सुद्ध नै प्रहास सांणोररा दवाळा भेळा श्रावै सौ वडौ सांणोर कहावै । श्रथ गीत वडौ सांणीर उदाहरण गीत करी चूर कुळ सुभावहंत सादूळ कह, विधु नखित्र सोभ भरपूर वरसै 1 कमळ - भवत कहजै दूजां नूर कुळ, सूर कुळ दासरथहं ूत ं सरसै ॥ ५४. तीकम (त्रिविक्रम ) - श्रीकृष्ण, विष्णु । वाहर-रक्षा | ५५. निरूपण - विवेचन, निर्णय, विचार । घुर-प्रथम, पहिले । तुक-पद्यका चरण । कळमात्रा । तेवीसह - २३ । धार - रख । विखम-विषम । सतर - सतरह । ५६. मोहरे-पद्य द्वितीय और चतुर्थ चरणोंके अंतिम अक्षरोंका मेल । ५७. सकोय - सब । कठे क -कहीं । ५८. करी - हाथी । चूर-ध्वंश नाश । सार्दूळ ( सार्दूल) - सिंह । विधुचंद्रमा । नखित्रनक्षत्र । सोभ- कांति, दीप्ति । कमळ-भवहंत ब्रह्मासे । दूजां (द्विजां ) - ब्राह्मणों । सूर कुळ- सूर्यवंश, वीर पुरुषोंका वंश । दास रथ हूँत - श्रीरामचंद्र से । सरसै- शोभा पाता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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