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तीकम
वाहर
रघुवरजसप्रकास
करै तीसरी नाथ अनाथां
ताळी | वाळी ॥ ५४
अथ बड़ा सांगौर याद सप्त गीत निरूपण
अथ गीत बड़ा सांणौर लछण
चौपई
धुर तुक कळ तेवीसह धार, विखम वीस सम सतर विचार | लघु गुरु मोहर क दुगुरु मिळाय, सौ प्रहास सांगौर सुभाय ॥ ५५ वीस विखम तुक सम दस आठ, पात गुरु लघु मोहरै पाठ | समझ सुध सांगौर सकोय, जिण मोहरै गुरु लघु कवि जोय ॥ ५६ सुज मिळ सुध प्रहास सुजांग, वडौं जिको सांगौर वखांण ॥ ५७
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वारता
कठे'क लघु तुकंत दवाळौ कठे' क गुरु तुकत दवाळी प्रावै । सुद्ध नै प्रहास सांणोररा दवाळा भेळा श्रावै सौ वडौ सांणोर कहावै ।
श्रथ गीत वडौ सांणीर उदाहरण गीत
करी चूर कुळ सुभावहंत सादूळ कह, विधु नखित्र सोभ भरपूर वरसै 1 कमळ - भवत कहजै दूजां नूर कुळ,
सूर
कुळ
दासरथहं ूत ं सरसै ॥
५४. तीकम (त्रिविक्रम ) - श्रीकृष्ण, विष्णु । वाहर-रक्षा |
५५. निरूपण - विवेचन, निर्णय, विचार । घुर-प्रथम, पहिले । तुक-पद्यका चरण । कळमात्रा । तेवीसह - २३ । धार - रख । विखम-विषम । सतर - सतरह ।
५६. मोहरे-पद्य द्वितीय और चतुर्थ चरणोंके अंतिम अक्षरोंका मेल ।
५७. सकोय - सब । कठे क -कहीं ।
५८. करी - हाथी । चूर-ध्वंश नाश । सार्दूळ ( सार्दूल) - सिंह । विधुचंद्रमा । नखित्रनक्षत्र । सोभ- कांति, दीप्ति । कमळ-भवहंत ब्रह्मासे । दूजां (द्विजां ) - ब्राह्मणों । सूर कुळ- सूर्यवंश, वीर पुरुषोंका वंश । दास रथ हूँत - श्रीरामचंद्र से । सरसै- शोभा पाता है ।
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