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रघुवरजसप्रकास
{ १७३ बेग ऐण रोधां बैण सबोधां सक्रोधां बंदै , वाजंदां कव्यंदां जोधां इसां औधराव ॥ सीधुरां ढहाड़ सं बां दहाड़ बिभाड़ सत्रां , धाव सिघ्र बिरदाई प्रवाड़ धरेस । तुरंगां कव्यंदां बांबराड़ भड़ां राम ताखा , निखंगां रीझणा धाड़ जानकी नरेस ॥ २२
वारता दूजो सर नामा जथा सौ गीतरा दूहांरी तीन तुकमें तौ और वात वरणै नै च्यार ही दुहारी चौथी तुकमें कहै सौ वात निभी चाहै । प्रागै सात सांणौरां महैं वेलियौ सांणौर गीत छै जी महैं चरणारब्यंदारौ नाम च्यार ही दुहारी चौथी तुकमें साबत निभ्यौ छै सौ देख लीज्यौ ।
अथ सरजथा उदाहरण
गीत वेलियौ सांणौर औयण जे राम सिया नित अरचै , सुज चरचै सिव भ्रहम सकाज । जग अघहरण सुरसरी जांमी राजतणां चरणां रघुराज ॥ २३
वारता तीजी सिर नामा जथा कहावै जठे प्रमाणिक चौसरसं लगाय नै प्रमाणीक सत सर तांई रूपग लखौ छै सौ अगाड़ी रूपगमें है, सत सर सुधी सांणौर कह्यौ छै सौ देख लीज्यौ ।
२२. बेग-गति । ऐण-हरिण। बैण-बचन । सबोधां-ज्ञान वाला। वाजंदां-घोड़ा।
कव्यंदां-कवियों। जोधां-योद्धाओं। औधराव-श्री रामचंद्र भगवान । सींधराहाथियों। ढहाड़-गिराने वाला। सुंबां-कृपरणों। दहाड़-गर्जना, घोर ध्वनि । बिभाड़-संहार करने वाले। सत्रां-शत्रुओं। धाव-दौड़। बिरदाई-बिरुद वाले । प्रवाड़-शाका। धरेस-धारण करने वाले । तुरंगां-घोड़ों। कब्यंदा-कवियों। बांबराड़-जबरदस्त । ताखा-महान, जबरदस्त । निखंग-वह जो किसीका प्रभाव या रौब न मानता हो परन्तु कर्तव्यपरायण हो, निशंक । रीझणा-प्रसन्न होने वाले !
धाड़-धन्य-धन्य । महैं-में, अंदर । चरणारब्यंदां (चरणारबिंद)-कमल-चरण । २३. औयण-चरण। सज-वह। भ्रहम-ब्रह्मा। सुरसुरी-गंगा। जांमी-पिता, जनक ।
राजतणां-पापके, श्रीमानके। रूपग-गीत (छंद)।
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