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रघुवरजसप्रकास अधिक न्यून सम नांम अग्यारह उच्चरै । 'किसन' जथा डिंगळ कवि आरै करै ॥ २१
वारता प्रथम तौ विधांनीक जथा कहावै जठै विधांनीक तिसर गीत वणै सौ ।
अथ विधांनीक नांमा जथा उदाहरण
गीत सुपंखरौ ____जात विधांनीक तिसर गीत वंसी ऐराकरां छ-भाख पैराकरां खड़गवाहां , जोस मेधा पाखरां आसुरां भंज जंग । मोड़ाकरां नायबां-बाकरां अरांतोड़ा मनै , साकुरां श्राखरांजोड़ा ठाकुरां स्रीरंग ॥ अछेहां पै धाव सिधां सभाव पटैत अंगां कछ अंबा भांण कुळां अरेहां सकांम । दौड़ बाद जीपणां लूणचै काज भजे देहां , रेवंतां नीपणां सूरां रंजै अहां राम ॥ तेजरा जळोधां वाक अरोधां विरोधां तीखा ,
तातां पै निघातां जंगी होदां तेग ताव । २१. पार करै-स्वीकार करते हैं । २२. वंसी-वंशका | ऐराकरा-नस्ल विशेषके घोड़ों। छ भाख-छ भाषाओं। पैराकरा
पार करने वाले। खड़गवाहां-योद्धाओं। मेधा-स्मरण रखने की शक्ति, धारण शक्ति, धारणा शक्ति। प्रासरी-शत्रुनोंको, राक्षसोंको। भंज-संहार करते हैं। जंग-यद्ध । मोड़ाकरां-नस्ल विशेषके घोड़े। नायबां-वाकरां-कवि । प्ररांतोड़ा-शत्रुओंका नाश करने वाले। साकुरां-घोड़ा। प्राखरांजोड़ा-कवि। ठाकुरी-योद्धाओं। नीरंग (श्री रंग)-विष्णु, श्री रामचंद्र। अछेहां-बहुत । धाव-दौड़। सिधां-सिद्धां । पटैतयोद्धा। कछ-देश विशेष जहांके घोड़े प्रसिद्ध होते हैं। अंबा-देवी, शक्ति। भाणसूर्य । अरेहां-शत्रुओंको मारने वाले, अथवा निष्कलंक । दौड-शीघ्र गमन या गति । बाद-शास्त्रार्थ । जीपणां-जीतने वाला। लूणचै-नमकके। भंजे-नाश करते हैं। रेवंताघोड़ों। नीपणां-कवियों। सूरां-योद्धाओं। रंजे-प्रसन्न होता है। श्रेहां-ऐसों पर । जळोधा (जलधि)-सागर। वाक-वाणी। तीखा-तेज । तातां-तेज स्वभाव, चंचल । निघाता-अति तेज । जंगी-बड़ा। होदां-हाथीकी पीठ पर रखनेकी अमारी। तेगतलवार। ताव-जोश।
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