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रघुवरजसप्रकास नरव्वीर रेणं, भई भांत केणं । सुणे सेख तत्थं, कहे तांम कथ्थं ॥ मिथल्लेस राज, कहौ केण काजं । नरब्बीर बांणी, महाहीण मांणी ।। हुवै राम जत्थ, अखौ नां अकथ्यं । उठे राम तामं, जगै कोप जांमं ॥ कटं पीतपट्ट', सुबंधे सुघट्ट । गतं पंचमुखं, चले चाप रूखं ॥ करं बांम चापं, उठायौ अमापं । नमायौ निखगं, गुणं वाळ अंगं ॥ रमानाथ रीसं, करते कसीसं । कुडंडं अचूकं, कियौ टूक टूकं ॥ सिया मात सुक्खं, विदेहं हरक्खं । नूपं जीत जांमं, वरी सीत वांमं ॥ जसं औधरायं, 'किसनेस' गायं ॥ ३७
३७. नरवीर-नरवीर । रेणं-भूमि। भांत-प्रकार । केणं-किस, कैसे। सेख-(शेष)
लक्ष्मण । तत्थं-वहाँ। ताम-उनको। कथ्थं-शब्द, वचन । मिथल्लेस-राजा जनक । केण-किस । कार्ज-लिए । बाणी-शब्द, वचन । महाहीण-महा तुच्छ, अति तुच्छ । अखौ-कहो । नां-नहीं। अकथ्थं-अकथनीय, बुरी बात । ताम-तब । जांम-परशुराम । कटं-(कटि) कमर। पीतपट्ट-पीताम्बर । सुघट्ट-सुन्दर, दृढ़ । गतं-प्रकार, तरह। पंचमुखं-सिंह । रूखं-अोर, तरफ। करं-हाथ । बाम-(वांम) बाया । चापं-घनुष । निखंग-(निषंग) तर्कश, तूणीर, गुण धनुषको डोरी, प्रत्यंचा । रमानाथ-लक्ष्मीपति, श्री रामचन्द्र । रीसं-रिस, कोप। करंतै-हाथसे । कसीसंधनुषको मोड़ कर प्रत्यंचा चढ़ाई, धनुष चढ़ाया। कुडंडं-(कोदंड) धनुष । अचूकंअव्यर्थ । टूक टूकं-खंड खंड। सिया-सीता। मात-माता । विदेहं-राजा जनक । हरक्खं-हर्ष, प्रसन्नता । जीत-जीत कर । जाम-परशुराम । वरी-वरण की । सीतसीता। वांम-(वाम) स्त्री। जसं-यश। प्रौधरायं-श्री रामचन्द्र ।
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