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रघुवरजसप्रकास
दूहा मात्रा दंडक वरणिया, इण विध छंद उदार । 'किसन' रिझावण जस कियो, रामचंद्र रिझवार ।। २७२ किव राजांसं किप्सन किव, यम अक्खै अरदास । माफ करौ तगसीर मौ, देख रांम पय दास ॥ २७३
इति मात्रा ब्रत संपूरण
२७२. रिझावण-प्रसन्न करनेके लिए। रिझवार-प्रसन्न होने वाला। २७३. यम-ऐसे। अक्खै-कहता है । अरदास-प्रार्थना । तगसीर (तकसीर)-कमी। मौ
मेरी। पय-चरण । दास-भक्त ।
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