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ब्राह्मचर्य-दर्शन योगी ने तत्काल यों ही सहसा उत्तर में कह दिया-'गुडेन सह' । 'दूध मीठा है, गुड़ के साथ ।'
राजा ने ज्यों ही यह उत्तर सुना, वह हाथी से उतरा और बाल साधक के चरणों में गिर पड़ा। विस्मित और श्रद्धा भाव से उसने कहा- "मैंने छह महीने पहले पूछा था-"क्या मीठा है ?" आपने उत्तर दिया था-"दूध ।" आज उससे आगे का प्रश्न पूछा, तो आपने बिना रुके एवं बिना विचार किए, तत्काल उसका उत्तर दे दिया कि गुड़ के साथ । मानों, छह महीने पहले का वह प्रश्न आपकी स्मृति में ऐसा ताजा है, कि जैसे अभी-अभी किया गया हो । महाभाग, आपकी साधना सचमुच ही अद्भुत है।"
वही तरुण साधक आगे चल कर, जैन संघ में सूर्य के समान चमका और उसका नाम मल्लवादी पड़ा। वह अपने समय का एक बहुत बड़ा वाद-महारथी हुआ तथा भारत के सुदूर प्रदेशों में घूम-घूम कर जैन-धर्म और दर्शन का उसने जय-घोष किया। उनके द्वारा विरचित ग्रन्थ इतने गम्भीर और तर्क-पूर्ण हैं, कि उनकी एक-एक पंक्ति पर उनके विराट तथा गंभीर चिन्तन की छाप स्पष्टतया परिलक्षित होती है।
जब इस स्थिति को सामने रख कर विचार करते हैं, तब अनायास ही प्रश्न उपस्थित हो जाता है, कि यह ज्योतिर्मय विचार कहाँ से आया ?
पूर्व जन्म के संस्कार तो होते ही हैं, पर उनके साथ-साथ इस. जन्म के संस्कार भी कम प्रभाव-शाली नहीं होते । इस जन्म के संस्कारों की पवित्रता के बिना ऐसी स्थिति प्राप्त नहीं हो सकती ।
जहाँ चरित्र-बल प्रबल होता है, और जिस जीवन में ब्रह्मचर्य का दीपक जगमगाता रहता है, उसके मस्तिष्क में छह महीने तो क्या, हजारों वर्ष पुरानी स्मृतियाँ, ज्यों-की-त्यों ताजा बनी रहती हैं । ब्रह्मचारी का मस्तिष्क बड़ा ही उर्वर होता है, और संग्रह-शील भी होता है । मगर आज हम जिस ओर भी देखते हैं, भोग-विलास और विकार की ही काली घटाएँ दीख पड़ती हैं। लोगों का चरित्र-बल तीव्र गति से क्षीण हो रहा है। और यही कारण है, कि न योग्य सैनिक मिलते हैं, न अच्छे व्यापारी मिलते हैं, न अच्छे मालिक मिल रहे हैं और न अच्छे मजदूर ही मिल रहे हैं । आज न अच्छे गृहस्थ ही नजर आते हैं और न आदर्श साधु-संन्यासी ही नजर आते हैं । सब के सब फीके-फीके दिखाई देते हैं। अगर ब्रह्मचर्य की साधना की जाए तो यह स्थिति जल्दी ही बदल सकती है, और तब समाज में चमकते हुए मनुष्य नजर आएँगे।
आज हजारों-लाखों पढ़ने वाले नौजवान विद्यार्थी निस्तेज और रुग्ण शरीर का ढांचा लिए फिरते हैं । यदि जरा-सी कठिनाई आती है, तो रोने लगते हैं। उन्हें पद
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