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जीवन-रस हैं । रंग पोतने से क्या होता है ? यदि चेहरे पर चमक और दमक लानी है, ओज और तेज लाना है, जीवन को सत्त्व-मय बनाना है, क्षमता-शाली बनाना है और मन को सशक्त बनाना है, और जीवन को सफल एवं कृतार्थ करना है, तो ब्रह्मचर्य की उपासना करो । ब्रह्मचर्य की उपासना से ही इस जन्म में और जन्मान्तर में आप का कल्याण हो सकेगा। ब्यावर । ७-११-५०
प्रादमी को दूसरों के लिए नहीं, अपितु अपने लिए ही भला प्रादमी बनना चाहिए। क्योंकि भला बने रहने से प्रादमी को अपने अन्दर में प्रखण्ड प्रानन्द की उपलब्धि होती है।
भलाई क्या है ? भलाई का अर्थ है--विनम्रता, प्रामाणिकता, शील और सौजन्य !
अगर, प्रादमी बिना किसी भय के सहज भाव से भला प्रादमी बन जाए, तो उसे अपना दिल साफ.मालूम होगा, लाजबाब खुशी होगी, वह संसार में हर कहीं स्वतंत्रता से सांस ले सकेगा, और हर आदमी से प्रसन्नतापूर्वक अपनी प्रांख मिला सकेगा !
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