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________________ प्रवचन शक्ति का केन्द्र-बिन्दु ____ कल के प्रवचन की अन्तिम बात आपकी स्मृति में है न कि, मनुष्य का जो वर्तमान जीवन है, जो मौजूदा ज़िन्दगी है, वह न अकेले आत्मा से ही सम्बन्धित है और न अकेले शरीर से ही। यह मानव-जीवन आत्मा की एक वैभाविक पर्याय है। और, जो भी आत्मा के मनुष्य आदि वैभाविक पर्याय होते हैं, वे सब संसार के पर्याय हैं । वे न तो शुद्ध आत्मा के पर्याय होते हैं और न शुद्ध जड़ के ही पर्याय होते हैं । शुद्ध जड़-पर्याय का मतलब यह है कि उसमें चेतन का निमित्त न हो । जड़ में जो परिवर्तन आए, चैतन्य के द्वारा न आए । इस प्रकार चेतना के निमित्त के बिना ही जो भी जड़ में अदल-बदल होती है, वह शुद्ध जड़-पर्याय है। ___ इसी तरह शुद्ध आत्म-पर्याय का अर्थ है-आत्मा के द्वारा ही आत्मा में परिवर्तन का होना, किसी भी रूप में जड़ का निमित्त न होना । शुद्ध आत्मा में जो पर्याय होते हैं, वे केवल आत्मा के द्वारा ही होते हैं। जैसे सम्यक्त्व का आविर्भाव होना, आत्माका शुद्ध पर्याय है । इसी प्रकार सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र भी आत्मा के शुद्ध पर्याय हैं, श्राकत्व और साधुत्व भी आत्मा के ही पर्याय हैं । और इससे आगे बढ़ते-बढ़ते जो परमात्म-भाव अर्थात् सिद्धत्व-दशा की प्राप्ति होती है, वह भी आत्मा का अपना शुद्ध पर्याय है। उसमें जड़ का निमित्त नहीं है । उस पर्याय की प्राप्ति आत्मा को स्वयं की अध्यात्म-साधना द्वारा ही होती है। शुद्ध जड़-पर्याय और शुद्ध चेतन-पर्याय के अतिरिक्त जड़ और चेतन के कुछ ऐसे पर्याय भी हैं, जिन्हें हम अशुद्ध पर्याय कहते हैं । उदाहरणार्थ शरीर का एकएक जर्रा, जो शरीर के रूप में आया है, वह चेतन के अधिष्ठान से आया है। चेतन ने ही जड़ पुद्गल को शरीर का रूप प्रदान किया है। अतएव यह जो शरीर, इन्द्रियां, और मन हैं, इन्हें हम जड़-पर्याय कहते हैं, किन्तु वे उसके अशुद्ध पर्याय हैं। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय आदि जो कर्म-पुद्गल हैं, वे अपने आप में जड़ हैं, और सारे लोक में बिखरे पड़े हैं । जब वे बिखरे पड़े हैं, तब भी उनमें स्वभावतः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003419
Book TitleBramhacharya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1982
Total Pages250
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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