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ब्रह्मचर्य-दर्शन
जीवन के ऊँचे ध्येय को प्राप्त करने के लिए, ब्रह्मचर्य से बढ़ कर अन्य कोई साधन नहीं है।
जैन परम्परा में ब्रह्मचर्य में एक अपार बल, अमित शक्ति और एक प्रचण्ड पराक्रम माना गया है । मानव जीवन को सरस, सुन्दर, शीतल एवं प्रकाशमय बनाने के लिए, ब्रह्मचर्य की साधना को आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य और अपरिहार्य भी माना गया है । ब्रह्मचर्य की स्तुति में बहुत कुछ लिखा गया है, कहा गया है और गाया गया है । यदि जीवन का आधार ही शुद्ध और पवित्र न हो तो, जिस लक्ष्य की बोर मानव बढ़ रहा है, वह भी पावन और पवित्र कैसे होगा ? जैन-परम्परा के तत्त्व-चिन्तकों ने ब्रह्मचर्य व्रत को स्थिर रखने के लिए जो शोध एवं खोज की है, जो नियम, और उपनियम बनाए हैं, वे अद्भुत एवं विलक्षण हैं। परम प्रभु भगवान महावीर ने ब्रह्मचर्य धर्म की महिमा बताते हुए कहा है कि यह एक शाश्वत धर्म है। ध्र व है, नित्य है, और कभी मिटने वाला नहीं है । ‘एस धम्मे धुवे णिच्चे ।' अतीत काल में अनन्त-अनन्त साधकों ने इसकी विशुद्ध साधना के द्वारा, सिद्धि की उपलब्धि करके, सिद्धत्व-भाव को प्राप्त किया है और अनन्त भविष्य में भी अनन्त साधक इस ब्रह्मचर्य की साधना के द्वारा सिद्धि को प्राप्त करेंगे । ब्रह्मचर्य के सम्बन्ध में इससे सुन्दर उदात्त विचार और उज्ज्वल भावना विश्व-साहित्य में अन्यत्र. दुर्लभ है।
बौद्ध-परम्परा में भी ब्रह्मचर्य को बड़ा महत्त्व दिया गया है । बौद्ध-परम्परा के सिद्धान्त ग्रन्थों में कहा गया है कि बोधि लाभ प्राप्त करने के लिए मार को जीतना बावश्यक है, वासना पर संयम रखना आवश्यक है । जो व्यक्ति अपनी वासना पर संयम नहीं कर सकता, वह बुद्ध नहीं बन सकता। इस दृष्टि से यह कहा जा सकता है कि बौद्ध धर्म में ब्रह्मचर्य को कितना आदर एवं सत्कार प्राप्त हुआ है।
भारतीय धर्मों के अतिरिक्त ईसाई धर्म में भी ब्रह्मचर्य को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है । बाइबिल में एक नहीं अनेक स्थानों पर व्यभिचार, विषय-वासना और विलासिता आदि दुगुणों की भर्त्सना की गई है और इसके विपरीत त्याग, संयम, शील और सदाचार के मधुर गीत गाए गए हैं। व्यभिचार करना, बलात्कार . करना और विलासिता का पोषण करना, यह ईसाई धर्म में भयंकर पाप माने गए हैं। इस वर्णन से यह प्रमाणित हो जाता है कि ईसाई-धर्म में ब्रह्मचर्य को कितना महत्त्व दिया है।
मुस्लिम धर्म में भी व्यभिचार, विलास और वासना का तीव्र विरोध किया गया है । जिस व्यक्ति का जीवन विलासमय वासनामय होता है, मुस्लिम धर्म और
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