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________________ विवाह और ब्रह्मचर्य करने ने लिए और गार्हस्थ्य जीवन की गाड़ी को ठीक तरह चलाने के लिए प्रेरणा है। पुरुष के सुख दुःख को स्त्री उठाएं और स्त्री के सुख दुःख को पुरुष उठाए, इस रूप में एक दूसरे की जवाबदारी को निभाने के लिए अगर साथी चुना जाता है, तो वह न्याययुक्त है । अन्यथा विवाह के अतिरिक्त जो भी स्पर्श-सम्बन्ध कायम होता है, उसमें अनैतिकता है । वहाँ व्यभिचार का भाव है। विवाह शब्द का क्या अर्थ है ? यह संस्कृत भाषा का शब्द है । 'वि' का अर्थ है-विशेष रूप से और 'वाह' का अर्थ है-वहन करना या ढोना । तो विशेष रूप से एक दूसरे के उत्तरदायित्व को वहन करना, उसकी रक्षा करना, विवाह कहलाता है । स्त्री, पुरुष के जीवन के सुख-दुःख एवं दायित्व को वहन करने की कोशिश करे, और पुरुष, स्त्री के सुख-दुःख को एवं जवाबदारी को वहन करने की कोशिश करे । केवल वहन करना ही नहीं है, किन्तु विशेष रूप से वहन करना है, उठाना है, निभाना है और अपने उत्तरदायित्व को पूरा करना है। इतना ही नहीं, अपने जीवन की आहुति देकर भी उसे वहन करना है । पशु और पक्षी अपनी जीवन-यात्रा को तय कर रहे हैं, पर वहाँ विवाह जैसी कोई चीज़ नहीं है । उनकी वासना की लहर समुद्र की तरह लहराती है। किन्तु मनुष्य विवाह करके वासनाओं के उस लहराते हुए सागर को प्याले में बन्द कर देता है । इस प्रकार जब भगवान् ऋषभदेव ने कर्मभूमि के आदि काल में विवाह करने की बात कही, तब जीवन की एक बहुत बड़ी अनैतिकता को दूर करने की बात कही। उन्होंने यह नहीं कहा, कि अगर किसी ने विवाह कर लिया, तो उसने कोई बड़ा पाप कर लिया । भगवान् ने तो इस रूप में गृहस्थ-जीवन का पवित्र मार्ग तय करना सिखलाया है। मान लीजिए, किसी पहाड़ी के नीचे एक बांध बांध दिया गया है । उसमें वर्षा का पानी ठाठे मारने लगता है । यदि बाँध उस पानी को पूरा-का-पूरा हजम कर सके, तो बांध की दीवारों के टूटने की नौबत न आए और इंजीनियर बाँध बनाते समय पानी निकालने का जो मार्ग रख छोड़ता है, उसे भी खोलने की आवश्यकता न पड़े। किन्तु पानी जोरों से आ रहा है और उसकी सीमा नहीं रही है, बांध में समा नहीं रहा है, फिर भी यदि पानी के निकलने का मार्ग न खोला गया, तो बांध की दीवारें टूट जाएंगी, और उस समय निकला हुआ पानी का उच्छृङ्खल प्रवाह बाढ़ का रूप धारण कर लेगा, और वह हजारों मनुष्यों को.---सैकड़ों गाँवों को बहा देगा, बर्बाद कर देगा। अतएव इंजीनियर उस बाँध के द्वार खोल देता है और ऐसा करने से नुकसान कम होता है । गांव बर्बाद होने से बच जाते हैं । यदि इजीनियर बाँध के पानी को निकलने का मार्ग खोल देता है, तो वह कोई अपराध नहीं करता है। ऐसा करने के पीछे एक महान उद्देश्य होता है, और वह यह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003419
Book TitleBramhacharya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1982
Total Pages250
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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