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उत्तराध्ययन सूत्र
बालजीव की अज्ञानता तो देखो। वह अधर्म को ग्रहण कर एवं धर्म को छोड़कर अधर्मिष्ठ बनता है और नरक में उत्पन्न होता है।
बालस्स पस्स बालत्तं अहम्मं पडिवज्जिया। चिच्चा धम्मं अहमिट्टे
नरए उववज्जई॥ २९. धीरस्स पस्स धीरत्तं
सव्वधम्माणुवत्तिणो। चिच्चा अधम्मं धम्मिढे
देवेसु उववज्जई॥ ३०. तुलियाण बालभावं
अबालं चेव पण्डिए। चइऊण बालभावं अबालं सेवए मुणि ॥
सब धर्मों का अन्वर्तन-पालन करने वाले धीर पुरुष का धैर्य देखो। वह अधर्म को छोड़कर धर्मिष्ठ बनता है और देवों में उत्पन्न होता है।
___ पण्डित मुनि बालभाव और अबाल भाव की तुलना-अर्थात् गुण-दोष की दृष्टि से ठीक परीक्षा करके बालभाव को छोड़कर अबाल भाव को स्वीकारता है।
-ऐसा मैं कहता हूँ।
---त्ति बेमि।
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