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उत्तराध्ययन सूत्र
जो पुद्गल स्पर्श से उष्ण है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
जो पुदगल स्पर्श से स्निग्ध है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल स्पर्श से रूक्ष है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल संस्थान से परिमण्डल है वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है।
३९. फासओ उण्हए जे ।
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ४०. फासओ निद्धए जे:
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेट
भइए संठाणओ वि य॥ ४१. फासओ लुक्खए जे:
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेट
भइए संठाणओ वि य॥ ४२. परिमण्डलसंठाणे
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए फासओ वि य ।। ४३. संठाणओ भवे वट्टे
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए फासओ वि य॥ ४४. संठाणओ भवे तंसे
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥ संठाणओ य चउरंसे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए फासओ वि य॥ ४६. जे आययसंठाणे
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ विय॥
जो पुद्गल संस्थान से वृत्त है वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य
जो पुद्गल संस्थान से त्रिकोण है वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य
जो पुद्गल संस्थान से चतुष्कोण है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है।
जो पुद्गल संस्थान से आयत है वह वर्ण, गन्ध, रस, और स्पर्श से भाज्य है।
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