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३६-जीवाजीव-विभक्ति
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जो पुद्गल रस से कसैला है वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल रस से खट्टा है वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल रस से मधुर है वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल स्पर्श से कर्कश है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
३१. रसओ कसाए जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३२. रसओ अम्बिले जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३३. रसओ महरए जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३४. फासओ कक्खडे जे उ
भइए से 3 वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३५. फासओ मउए जे उ
भइए से 3 वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३६. फासओ गुरुए जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३७. फासओ लहुए जे उ
भइए से 3 वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३८. फासओ सीयए जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य॥
जो पुद्गल स्पर्श से मृदु है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल स्पर्श से गुरु है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है।
जो पुद्गल स्पर्श से लघु है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल स्पर्श से शीत है-वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य
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