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उत्तराध्ययन सूत्र
चक्षु-दर्शनावरण, अचक्षु-दर्शनावरण, अवधि-दर्शनावरण और केवलदर्शनावरण-ये नौ दर्शनावरण कर्म के विकल्प-भेद हैं। __वेदनीय कर्म के दो भेद हैं—सात वेदनीय और असात वेदनीय । सात और असात वेदनीय के अनेक भेद हैं।
मोहनीय कर्म के भी दो भेद हैंदर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय। दर्शन मोहनीय के तीन और चारित्रमोहनीय के दो भेद हैं।
सम्यक्त्व, मिथ्यात्व और सम्यक्मिथ्यात्व-ये तीन दर्शन मोहनीय की प्रकृतियाँ हैं।
६. चक्खुमचक्खु-ओहिस्स
दंसणे केवले य आवरणे। एवं तु नवविगप्पं नायव्वं दंसणावरणं। वेयणीयं पि य दुविहं सायमसायं च आहियं। सायस्स उ बहू भेया एमेव असायस्स वि॥ मोहणिज्जं पि दुविहं दंसणे चरणे तहा। दंसणं तिविहं वुत्तं चरणे दुविहं भवे॥ सम्मत्तं चेव मिच्छत्तं सम्मामिच्छत्तमेव य। एयाओ तिन्नि पयडीओ
मोहणिज्जस्स दंसणे॥ १०. चरित्तमोहणं कम्म
दुविहं तु वियाहियं । कसायमोहणिज्जं तु नोकसायं तहेव य॥ सोलसविहभेएणं कम्मं तु कसायजं। सत्तविहं नवविहं वा
कम्मं नोकसायजं ।। १२. नेरइय-तिरिक्खाउ
मणुस्साउ तहेव य। देवाउयं चउत्थं तु
आउकम्मं चउव्विहं ।। १३. नाम कम्मं तु दविहं
सुहमसुहं च आहियं। सुहस्स उ बहू भेया एमेव असुहस्स वि॥
चारित्र मोहनीय के दो भेद हैंकषाय मोहनीय और नोकषाय मोहनीय।
कषाय मोहनीय कर्म के सोलह भेद हैं। नोकषाय मोहनीय कर्म के सात अथवा नौ भेद हैं।
आयु कर्म के चार भेद हैंनैरयिक आयु, निर्यग् आयु, मनुष्य आयु और देव-आयु।
नाम कर्म के दो भेद हैं—शुभ नाम और अशुभ-नाम । शुभ के अनेक भेद हैं। इसी प्रकार अशुभ के भी।
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