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उत्तराध्ययन सूत्र
ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तराय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति तीस क्रोडाक्रोड सागर है और जघन्य अन्तर्मुहूर्त । मोहनीय की उत्कृष्ट स्थिति सत्तर क्रोडाक्रोड सागर है तथा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त । आयु-कर्म की उत्कृष्ट स्थिति तैंतीस सागर है तथा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त । नाम और गोत्र-कर्म की उत्कृष्ट स्थिति बीस क्रोडाक्रोड सागर है और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त है।
कर्मों का अनुभाव अर्थात् फल तीव्र और मन्द परिणामों से बद्ध हुए कर्मों के अनुसार होता है।
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