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________________ २९८ ७ गरहणया ८ सामाइए ९ चउव्वीसत्थए १० वन्दणए ११ पडिक्कमणे १२ काउस्सगे १३ पच्चक्खाणे १४ थवथुमंगले १५ कालपडिलेहणया १६ पायच्छित्तकरणे १७ खमावणया १८ सज्झाए १९ वायणया २० पडिपुच्छणया २१ परियट्टाया २२ अणुप्पेहा २३ धम्मकहा २४ सुयस्स आराहणया २५ एगग्गमणसंनिवेसणया २६ संजमे २७ तवे २८ वोदाणे २९ सुहसाए ३० अप्पडिबद्धया ३१ विवित्तसयणासणसेवणया ३२ विणियदृणया ३३ संभोगपच्चक्खाणे ३४ उवहिपच्चक्खाणे ३५ आहारपच्चक्खाणे ३६ कसायपच्चक्खाणे ३७ जोगपच्चक्खाणे ३८ सरीरपच्चक्खाणे ३९ सहायपच्चक्खाणे Jain Education International ग सामायिक चतुर्विंशति-स्तव वन्दना प्रतिक्रमण कायोत्सर्ग उत्तराध्ययन सूत्र प्रत्याख्यान स्तव - स्तुति मंगल कालप्रतिलेखना प्रायश्चित्त क्षामणा क्षमापना स्वाध्याय वाचना प्रतिप्रच्छना परावर्तना - पुनरावृत्ति अनुप्रेक्षा— अनुचिन्तन धर्मकथा श्रुत आराधना मन की एकाग्रता संयम तप व्यवदान — विशुद्धि सुखशात अप्रतिबद्धता विविक्त शयनासन सेवन विनिवर्तना संभोगप्रत्याख्यान उपधि- प्रत्याख्यान आहार- प्रत्याख्यान कषाय-प्रत्याख्यान योग-प्रत्याख्यान शरीर- प्रत्याख्यान सहाय- प्रत्याख्यान For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003417
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanashreeji
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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