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२६-सामाचारी
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८. पुव्विल्लंमि चउब्भाए
आइच्वंमि समुट्ठिए। भण्डयं पडिलेहित्ता वन्दित्ता य तओ गुरुं । पुच्छेज्जा पंजलिउडो किं कायव्वं मए इहं ?। इच्छं निओइउं भन्ते! वेयावच्चे व सज्झाए।
औत्सर्गिक दिनकृत्यसूर्योदय होने पर दिन के प्रथम प्रहर के प्रथम चतुर्थ भाग में भाण्डउपकरणों का प्रतिलेखन कर गुरु को वन्दना कर___हाथ जोड़कर पूछे कि-“अब मुझे क्या करना चाहिए? भन्ते ! मैं चाहता हूँ, मुझे आप आज स्वाध्याय में नियुक्त करते हैं, अथवा वैयावृत्य
सेवा में।" ____ वैयावृत्य में नियुक्त किए जाने पर ग्लानि से रहित होकर सेवा करे । अथवा सभी दुःखों से मुक्त करने वाले स्वाध्याय में नियुक्त किए जाने पर ग्लानि से रहित होकर स्वाध्याय करे।
१०. वेयावच्चे निउत्तेणं
कायव्वं अगिलायओ। सज्झाए वा निउत्तेणं सव्वदुक्खविमोक्खणे॥
विचक्षण भिक्षु दिन के चार भाग करे। उन चारों भागों में स्वाध्याय आदि गुणों की आराधना करे।
११. दिवसस्स चउरो भागे
कुज्जा भिक्खू वियक्खणो। तओ उत्तरगुणे कुज्जा
दिणभागेसु चउसु वि।। १२. पढमं पोरिसिं सज्झायं
बीयं झाणं झियायई। तइयाए भिक्खायरियं पुणो चउत्थीए सज्झायं ।।
प्रथम प्रहर में स्वाध्याय करे, दूसरे __ में ध्यान करे, तीसरे में भिक्षाचरी और
चौथे में पुन: स्वाध्याय करे।
१३. आसाढे मासे दुपया
पोसे मासे चउप्पया। चित्तासोएसु मासेसु तिपया हवइ पोरिसी।
पौरुषी परिज्ञान
आषाढ़ महीने में द्विपदा (दो और की) पौरुषी होती है। पौष महीने में चतुष्पदा और चैत्र एवं आश्विन महीने में त्रिपदा पौरुषी होती है।
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