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________________ ( ८ ) बस, उसे साधने की बात कहता है। मन के घोड़े को ज्ञान का लगाम लगाओ" और यात्रा करो, कोई डर नहीं है। उत्तराध्ययन में प्रज्ञावाद के सूत्र उत्तराध्ययन मानव की सहज प्रज्ञा का पक्षधर है । वह सत्य का निर्णय किसी चिरागत परम्परा या शास्त्र के आधार पर करने को नहीं कहता है । वह तो कहता है, 'अप्पणा सच्चमेसेज्जा' तुम स्वयं सत्य की खोज करो। अर्थात् अपनी खुद की आँखों से देखो। दूसरों की आँखों से भला कोई कैसे देख सकता है। भगवान् पार्श्वनाथ और महावीर के संघों के आचार एवं वेष व्यवहार की गुत्थी को गौतम ने न पार्श्व जिन के नाम से सुलझाया और न अपने गुरु महावीर के नाम से ही। महापुरुषों और शास्त्रों की दुहाई न दी उन्होंने। गौतम का एक ही कहना है--"अपनी स्वत: प्रज्ञा से काम लो। देश काल के बदलते परिवेश में पुरागत मान्यताओं को परखो। 'पन्ना समिक्खए धम्म-विन्नणेण समागम्म, धम्मसाहणमिच्छियं ९– प्रज्ञा ही धर्म के सत्य की सही समीक्षा कर सकती है। तत्त्व और अतत्त्व को परखने की प्रज्ञा एवं विज्ञान के सिवा और कोई कसौटी नहीं है। उत्तराध्ययन के क्रान्ति-स्वर उत्तराध्ययन के क्रान्ति के स्वर इतने मुखर हैं, जो महाकाल के झंझावातों में भी न कभो क्षीण हुए हैं, और न कभी क्षीण होंगे। भगवान् महावीर के युग में संस्कृत भाषा को देत्रवाणी मानकर कहा जाता था कि वह शब्दत: ही पवित्र है। इस प्रकार शास्त्रों के अच्छे बुरे का द्वन्द्व भाषा पर ही आ टिका था। भगवान ने समाधान दिया-कोई भी भाषा पवित्र या अपवित्र नहीं है। भाषा किसी का संरक्षण नहीं कर सकती । शास्त्र पढ़ने भर से किसी का कुछ त्राण नहीं है ।२९ अच्छा शास्त्र वही है, जिसके अध्ययन से तप, त्याग, क्षमा, अहिंसा आदि की प्रेरणा मिले ।२२ भगवान् महावीर ने इसीलिए पंडिताऊ संस्कृत का मार्ग छोड़कर सर्व-साधारण जनता की बोली में जनता को उपदेश दिया। भाषा का मोह आज भी हमें कितना तंग कर रहा है, कितना खून बहा रहा है। अच्छा हो, १७. , , २३।५६ १८. , , २३।२५ १९. , , २३३१ २०. , , ६१० २१. , , १४१२ २२. , , ३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003417
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanashreeji
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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