________________
१७२
उत्तराध्ययन सूत्र
का मार्ग नहीं है। समझदार एकान्तवाद को नहीं मानते हैं। मैं भगवान् महावीर के प्ररूपित जिन-शासन को श्रेष्ठ समझता हूँ। और इसी प्रकार भरत आदि चक्रवर्तियों ने तथा दशार्णभद्र, नमि, करकण्डु, नग्गति, उद्रायण, काशीराज, विजय, महाबल आदि राजाओं ने जिनशासन की विशेषताओं को देखकर उसे स्वीकार किया और आत्म-कल्याण किया।"
प्रस्तुत अध्ययन में राजर्षि संजय को क्षत्रिय मुनि के द्वारा दिया हुआ उपदेश विस्तार से वर्णित है। जैन इतिहास की पुरातन गाथाओं पर भी व्यापक प्रकाश डाला गया है। गर्दभालि अनगार ने संजय राजा को जो उपदेश दिया है, वह तो आज भी इतना प्रेरक है कि मानव के अन्दर की बन्द आँखें खोल देता है। यह वह शाश्वत सत्य है, जो कभी धूमिल नहीं होता।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org