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चउद्दसमं उज्झयणं : चौदहवाँ अध्ययन
उसुयारिज्जं : इषुकारीय
मूल १. देवा भवित्ताण पुरे भवम्मी
केइ चुया एगविमाणवासी। पुरे पुराणे उसुयारनामे खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे ।।
हिन्दी अनुवाद देवलोक के समान सुरम्य, प्राचीन, प्रसिद्ध और समृद्धिशाली इषुकार नामक नगर था। उसमें पूर्वजन्म में एक ही विमान के वासी कुछ जीव देवता का आयुष्य पूर्ण कर अवतरित हुए।
सकम्मसेसेण पुराकएणं कुलेसु दग्गेसु य ते पसूया। निविणसंसारभया जहाय जिणिन्दमग्गं सरणं पवना॥
पूर्वभव में कृत अपने अवशिष्ट कर्मों के कारण वे जीव उच्चकुलों में उत्पन्न हुए और संसारभय से उद्विग्न होकर कामभोगों का परित्याग कर जिनेन्द्र-मार्ग की शरण ली।
३. पुमत्तमागम्म कुमार दो वी पुरुषत्व को प्राप्त दोनों पुरोहित
पुरोहिओ तस्स जसा य पत्ती। कुमार, पुरोहित, उसकी पत्नी यशा, विसालकित्ती य तहोसुयारों विशालकीर्ति वाला इषुकार राजा और रायस्थ देवी कमलावई य॥ उसकी रानी कमलावती-ये छह
व्यक्ति थे।
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