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________________ आदर्श सभ्यता : १०६ आदर्श सभ्यता - जब कभी गुरुदेव या कोई अपने से बड़ा पूज्य पुरुष तथा साध्वी आदि आपके यहाँ आएँ तो उसको झटपट खड़े होकर सम्मान दो और यथा-योग्य विधि से वन्दन या नमस्कार करो। + + + कपड़े हमेशा साफ-सुथरे पहनो । कम कीमत के और मोटे भले ही हों, किन्तु साफ हों। अधिक तड़क-भड़क से रेशमी या मखमली कपड़े उचित नहीं हैं। + + + किसी से कोई वस्तु लेकर मजाक में भी उसे लौटाते समय फेंकना नहीं चाहिए। जिस प्रेम और सद्भावना से वस्तु ली गई थी, उसी प्रेम और सद्भावना से लौटाओ भी। + + + लिखते समय कलम, हाथ और कपड़ों को स्याही से लथपथ न होने दो। कलम को साफ करने के लिए अपने हाथ पैरों से और सिर के बालों से मत पोंछो । कलम में स्याही अधिक भर जाए, तो इधर-उधर मत छोटो। इन सब कामों के लिए एक अलग वस्त्र का टुकड़ा रखो। + + + Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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