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वाँ चौमास, विदेह देश के वाणिज्य ग्राम में किया। इस वर्ष में दो बार गगा
महानदी पार की। 3. वाणिज्य ग्राम के बाद 16 वाँ चौमास राजगृह में किया। यहाँ भी वाणिज्य
ग्राम और राजगृह के बीच में गंगा पार की। 4. राजगृह से चम्पा गए। ओर वहाँ से सिन्धु देश की लम्बी विहार यात्रा की।
पुनः लौटकर विदेह के वाणिज्य ग्राम में 17 वाँ चौमास किया। इस विहार यात्रा में भी अनेक छोटी-मोटी नदियाँ और गंगा महानदी पार की। 5. वाणिज्य ग्राम का चौमास पूर्ण कर आलभिका, वाराणसी, आदि क्षेत्रों में विहार करते हुए 18 वाँ चौमास राजगृह में किया। यहाँ भी भगवान् ने विदेह
से मगध आदि प्रदेशों में विचरण करने के लिए बीच में गंगा नदी पार की। 6. भगवान् का 19 वाँ चौमास भी राजगृह में था। वहाँ से आलभिका आदि
नगरों में विहार करने के बाद वत्सदेश की राजधानी कौशाम्बी में शतानिक नरेश की रानी मृगावती को दीक्षा दी और वहाँ से लौटकर विदेह देश की वैशाली नगरी में 20 वाँ चौमास किया। यहाँ भी दक्षिणी बिहार से उत्तरी बिहार में जाते हुए गंगा पार की। 7. वैशाली का चौमास समाप्त कर गंगा पार की और उत्तर प्रदेश के अहिच्छत्र
तथा काम्पिल्यपुर आदि नगरों में विहार किया, और फिर दुबारा गंगा पार
कर वाणिज्य ग्राम में 21 वाँ चौमास किया। 8. वाणिज्य ग्राम के बाद गंगा पार कर मगध में विहार यात्रा और राजगृह में 22
वाँ चौमास। 9. राजगृह सै कयंगला, श्रावस्ती आदि में विहार और 23 वाँ वर्षावास वाणिज्य
ग्राम में। यहाँ भी दक्षिणी बिहार से उत्तरी बिहार में आते हुए गंगा पार की। 10. वाणिज्य के बाद गंगा पार कर अगला 24 वाँ चौमास राजगृह में किया। 11. राजगृह से चम्पा आदि में विचरण कर 25 वाँ चौमास मिथिला में किया।
यहाँ भी दक्षिणी बिहार से उत्तरी बिहार में मिथिला जाते हुए गंगा पार की। 12. मिथिला से गंगा पार कर अंगदेश की राजधानी चम्पा में आए और चम्पा
से लौटते समय गंगा पार कर 26 वाँ चौमास पुनः मिथिला में किया। इस वर्ष भी दो बार गंगा पार की गई।
भगवान् महावीर ने गंगा नदी क्यों पार की? 55
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