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बुद्धि-विलास
कांमदेव-नांम कवित : वाहुवलि भय अमित तेज श्रीधर,
दसानुभद्र औ प्रसेनचंद्र प्रभुचंद्र है। अग्निमुक्त सनतकुमार वत्सराज श्री कनक
प्रभ सांति कुंथ पर गुणवृंद है। विजय श्रीचंदन लहनु वलि वसुदेव,
सुदर्सन प्रद्युमनि नागकुरिद है। नाग नाम दूजो है सथूलभद्र श्रीकुमार, जंवूजुत कामदेव चौवीसौ अमंद है ॥११२२॥
चक्रवत्ति-नांम अरिल : भरथ सगर मघवा अरु सनतकुमार है,
सांति कुंथ अर नाथ सु भोम सुचार है। पद्म बहुरि हरिषेरिण जांनि जयसेन ऐ,
व्रह्मदत्त लौं चक्रवति द्वादस भये ॥११२३॥
वलिभद्र के नाम विजय-अचल फुनि कहे सुधर्म सुछंद' है,
सुप्रभु वहुरि सुदर्शन फुनि पानंद है । नंदिमित्र अरु रामचंद्र फुनि पद्म जू,
ऐ नव है वलिभद्र न तिनकै छद्म जू ॥११२४॥
नारायण-नांम रिल : त्रिपिष्ट वहुरि दुपिष्ट स्वयंभू फुनि सुनौ,
पुरषोतम नरस्यंघ पुंडरीक हि गनौं। दत्त सु लक्षमण कृष्ण' भये नव सर्व ऐ,
नारायण अति धरै रान को गर्व ऐ ॥११२५॥
३ श्रीचन्द्रन ।
११२२ : १ भयव । २ अमृत । ११२३ : १ जयसेनि । ११२४ : १ सुचंद। ११२५ : १A क्रष्ण।
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