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बुद्धि-विलास पंद्रह-सै-इकहैतरे, प्रभाचंद्र यह नान ।
वहुरि भये चीतोड' मैं, सकल गुननि के धाम ॥६६४॥ अरिल : पंद्रह-सै-इकप्रस्सी धर्म सु चंद है,
ललितकीत्ति फुनि चंद्रकोत्ति सु अमंद है। भट्टारक देवेंद्रकीत्ति मुनि च्यारि ऐ,
भऐ चाटसू मैं भविजन उर धारिऐ ॥६६५॥ सोरठा : नरेंद्रकीरति नाम, पट इक सांगानेरि मैं ।
भये महागुन-धांम, सोलह से इक्याणवै ॥६६६॥ अरिल : सत्रह-स-वाईस तणै जो साल है,
सुरेंद्रकीरति भये सु तिन के पटि लहै । जगतकीत्ति देवेंद्रकीत्ति गुनलीन है,
अंवावति मैं भये भटारक तीन है ॥६६७॥ दोहा : इक पट दिल्ली फुनि हुवो, महेंद्रकीरति नाम ।
सत्रह-सै परि-वारणवै, लह्यौ पाट गुनधांम(अभिराम')॥६६८॥ चौपई : पट्ट दोय पाये मुनिराय, नगर सवाइ जैपुर प्राय ।
इक खेमेंद्रकीति गुनपाल, अठारह-सं-पंद्रह' कै साल ॥६६॥ तिनकै पटि राजै वुधिवांन, सुरेंद्रकीरति तम हर भांन ।
साल अठारह-सन्तेईस, भये भटारक महा मुनीस ॥६७०॥ दोहा : भद्रवाहु मुनि आदि है', भट्टारक गुन षांनि ।
सुरेंद्रकीरति लौं भये, पट अठ्यारणवै जांनि ॥६७१॥ असे यह पट्टावली, ग्रंथनि के अनुसारि । कछु पोथिनु कौं देषि करि', वरनन कियो विचारि ॥६७२॥
६६४ : १ चीतोड। ६६७ : १ पटि हा लहैं। ६६८ : १ अभिराम missing | ६६६ : १ ठारह-स-पंद्रह । ६७१ : १दै। ६७२ : १कैं।
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