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बुद्धि-विलास कवित्त : गुरणचास भये कंदकुंद फुनि उमा-स्वामि,
लोहाचार्य जसकोत्ति यसोनंदि' जये हैं। देवनंदि पूज्यपाद गुणनंदि वजूनंदि,
है कुमारनंदि लोकचंद जग छये हैं॥ प्रभाचंद्र नेमिचंद्र भानुनंदि हरिनंदि,
वसुनंदि वीरनंदि तिन्हैं हम नये हैं। रतनकीरति मांरिणनंदि मेघचंद्र फुनि,
सांतिकीत्ति मेरकीत्ति' ए छवीस भये हैं ॥६५२॥ दोहा : भदिलापुर दक्षिण दिसा, पट्ट भये छव्वीस ।
वहुरि सुनहु' जे जे भये, जिहठां मुनि-गन ईस ॥६५३॥ छसै-तियासी साल तै, पट वैठे मुनिराज ।
भट्टारक-पद पाय करि, भये सुधर्म जिहाज ॥६५४॥ कवित्त : महीकोत्ति विष्णुनंदि भूषण औ सिरीचंद,
नंदिकीत्ति फुनि देस भूषण से मांनिए। अनंतकीरति धर्मनंदि वीरचंद भये,
रामचंद्र रामकोत्ति प्रभचंद जानिएँ । नरचंद्र नागचंद्र बहुरि नयणनंदि, .
. हरिचंद्र महीचंद्र माघचंद्र दांनिए। ए अठारा पट' भये नगरी उजेनि मांहि,
नमत वषतरांम तिन्हैं उर प्रांनिऐ ॥६५५॥ चौपई : संवत इक सहल तेईस, लक्ष्मी ससि गुणनंदि मुनीस ।
गुरगचंद लोकचंद मुनि' वऐ, ऐ पट च्यारि चंदेरी भये ॥६५६॥ संवत एक हजार गुण्यासी, के श्रुतकीरति हैं गुरगरासी। . भावचंद्र महिचंद्र वषांनौ, ऐ पट तीन भेलसै जानौ ॥६५७॥
२ मेरुकोत्ति ।
६५२ : १ यसोनंद। ६५३ : १ सुनौं। ६५५ : १पाट । ६५६ : १मुनु।
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