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________________ वर्ष चित्र परिचय [२४३ __ जेसलमेरना भण्डारनी दुरवस्था जेसलमेरमा जे ग्रंथभण्डार रहेला छे तेमां आपणी प्राचीन साहित्य विषयक सामग्रीनी आवी केटलीय अमूल्य वस्तुओ छिन्न-भिन्न दशामां पडेली छे अने ते दिन-प्रतिदिन नष्ट थती जाय छे. दुःखनो विषय ए छे के जेसलमेरना मन्दिरोनी यात्रा करवा माटे सेंकडो अने हजारोनी संख्यामां जैन लोको जायआवे छे अने मोटा मोटा नामधारी सूरिवों पण, पोताना भक्तो पासेथी हजारो रूपियाना खर्चा करावी संघो कढावे छे अने जेसलमेरनी यात्रा करवा जाय छे. परंतु ए बधाने त्यांना भण्डारमा केवो अपूर्व ग्रन्थसंग्रह थएलो हतो अने ते आजे केवी नाशकारक स्थितिमा पड्यो पड्यो सड्यां करे छे तेनी यत्किंचित् पण कल्पना थती नथी अने तेओ ए भण्डारना अवलोकन के रक्षणमाटे जरा पण विचार करी शकता नथी. जेसलमेरनो ए महान् ग्रन्थभण्डार खरतर गच्छना आचार्य जिनभद्रसूरिए स्थापित कर्यो हतो. ए आचार्य ग्रन्थोद्धार कार्यना महान् प्रेमी हता अने तेमणे पाटण, खंभात, मण्डपाचल दुर्ग, जेसलमेर विगेरे सात स्थानोमा मोटा ज्ञानभण्डारो स्थापन कर्या हता अने जूना ताडपत्रना जीर्ण थएला ग्रन्थो उपरथी कागळ उपर हजारो बीजा नवा ग्रन्थो लखावीने ए भण्डारोमा मुक्या हता. पाटणना वाडीपार्श्वनाथवाळा भण्डारमा तथा जेसलमेरना उक्त बडा भण्डारमां ए आचार्यनी लखावेली सेंकडो प्रतो अत्यारे विद्यमान छे. तेमणे ए ग्रन्थो बहुज व्यवस्थित रीते अने एक ज आकार-प्रकारमा उत्तम रीते लखावेला छे. जे काळे जिनभद्रसूरिए जेसलमेरमा ए ग्रन्थभण्डारनी भव्य स्थापना करी हती ते वखतमा जेसलमेरना जैन संघनी जाहोजलाली अने आबादी घणी मोटी हती. परन्तु आजे ए स्थिति रही नथी. त्यांना जैन मन्दिरोमां जेटली जिननी मूर्तियो आवेली छे तेनी संख्याना प्रमाणमां तेनी पूजा करनारा जैनोनी संख्या सोए - एकना प्रमाणमां पण आजे रहेली नथी. छतां जैन समाजमा मन्दिर अने मूर्तिनी पूजानी भावना कांईक ठीक ठीक जाग्रत होवाथी मन्दिरोना रक्षण विगेरे माटे यथा तथा प्रयत्नो थयां करे छे. परंतु ए ज्ञानभण्डार तरफ कोईनु लक्ष्य न होवाथी तेना रक्षणनी कशी ज काळजी लेवामां आवती नथी. अने आथी ए ज्ञानभण्डार अत्यंत अव्यवस्थित अने अस्तव्यस्त दशानो भोग थई रह्यो छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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