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________________ २४२] भारतीय विद्या [तृतीय ज, ज्यारे सौथी पहेली ए व्याकरणनी जे प्रतो लखाई, तेमांनी ए एक होय एवं मानवाने खास कारण छे. सरस्वतीनी आ प्रतिकृति पण बहु ज सुंदर अने उदाहरणभूत छे. ए पण चतुर्हस्ता छे, परन्तु एना उपरना बे हाथमां कमल पुष्पो छे अने नीचेना एक हाथमा करमालिका तथा बीजा हाथमां लघु पुस्तिका छे. एना काननां कुंडल, गळानो हार अने सुन्दर स्तनमंडल सुशोभित रीते आलेख्यां छे. पग पासे ऊर्ध्वग्रीव हंस पोतानी चंचूमां कमलपुष्प पकडी जाणे देवी साथे गेल करतो होय तेवो बहु ज मनोरम देखाय छे. १० चित्रांक (६) उपर एक अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण पानानुं चित्र छे. ए पार्नु कागळनुं छे, ताडनु नहिं. जेसलमेरना भंडारमा रद्दीपाना भेगुं नांखी राखेलं आ पानु मळ्यु हतुं. एनी विशेषता ए छे के ए पानावाळु पुस्तक, उक्त जिनदत्तसूरिना खास पट्टधर शिष्य जिनचन्द्रसूरिए पोते लखावेलुं हतुं. आनन्दवर्द्धनाचार्यकृत 'ध्वन्यालोकलोचन' नामना पुस्तक- ए अन्तिम पत्र छे. पानानी नीचेनी कोरो खरी गएली होवाथी अन्तनो पुष्पिकालेख अखण्ड नथी रह्यो अने तेथी एमां लख्यानी साल विगेरेनी जे नोंध हती ते नष्ट थई गई छे. परंतु एमां जिनदत्तसूरि अने तेमना शिष्य जिनचन्द्रनुं नाम स्पष्ट वांची शकाय छे. छेल्ली पंक्तिमा 'जिनचन्द्रनाम्नाऽलेखि' ए वाक्य स्पष्ट देखाय छे. एटले ए पुस्तक तेमनुं पोतार्नु लखावेलु हतुं ए स्पष्ट थाय छे. जिनचन्द्रसूरि वि. सं. १२२३ मां, २० वर्ष जेटली अल्प उम्रमां ज स्वर्गवासी थई गया हता. तेथी तेमणे ए पुस्तक १२१३ अने १२२३नी वच्चे क्यारेक लखाव्यु हशे, एम मानी शकाय. आ पुस्तक कागळ उपर लखेलुं हतुं. कागळy आटलुं जूनुं लखेलं बीजं पुस्तक हजी मारी जाणमां नथी आव्युं तेथी हुँ एने कांगळना एक जूनामां जूना पुस्तकना नमूना तरीके गणवा ललचाऊं छु. एना अन्तनो पुष्पिका लेख आ प्रमाणे उकेली शकायो छे(1) ... पूर्ण चेदं काव्यालोकलोचनं.................. (2) ............लब्धप्रसिद्धः श्रीमदाचार्याभिनवगुप्तस्य ॥ छ । समाप्तं चेदं लोचनग्रंथः॥ ........ ............. घ सु १ रचौ ॥ श्रीमजिनवल्लमसूरिशिष्यः श्रीमजि नदत्तसूरिः प्रवरविधिधर्मसर........ (4) ............... प्रतिवादिकरटिकरटविकटरदपा .................. चरणेदीवरमधुकरो विज्ञातसकलशास्त्रर्थः.................. ............ जिनचंद्रनाम्नामलेखि ............ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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