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________________ १९० ] भारतीय विद्या [ वर्ष ३ बदल्युं - पण ते जूनी राजधानी राजगृहमां नहि, ते माटे एणे एक नयुं शहेर पाटलिपुत्र स्थापयुं. ए स्थान विशालतर साम्राज्यनी जरुरियातोने बरोबर बंध बेसतुं हतुं, अने तेथी ते सत्वर अत्यंत मोटुं नगर थई गयुं. एटले वैशालीनुं महत्व घटतुं गयुं, अने नवी राजधानीना आकर्षणथी एनी वस्ती पण धीरे धीरे घटती गई. जो के भापणने चोकस माहिती नथी मळती तो पण संभव छे के उदायिने साम्राज्याने वधार्यु हशे . गमे तेम होय तो पण पाडोशी राज्यो मगधना सत्वर वधता जता साम्राज्यने बहु संभाळपूर्वक जोई रह्यां हतां उदायिनना खून विषेनी कथा ( उदायिमारककथा' ) मां अवन्तिना मगध साथेना कथळता संबंध विषे ऐतिहासिक बनावनुं बीज समायेलुं जणाय छे. उदायिने पदभ्रष्ट करेला एक राजानो पुत्र अवन्तिना राजानी नोकरीमा रह्यो, के जेने पण उदायिननी साथे वेर हतुं. पेला पुत्रे अवन्तिराजने वचन आप्युं के ते तेने उदायिनना तंत्रमांथी मुक्ति अपावशे खून केवी रीते करवामां आव्युं ते एक धार्मिक कविनी सुंदर कविता छे, पण तेथी कई ए विवादनो विषय नथी के अवन्तिराजने तेनी जाणकारी नीचे एक खूनीए तेने तेना धिक्कारपात्र शत्रु उदायिनना तंत्रमांथी मुक्त न कर्यो होय ? आवुं कार्य राजनीतिने कांई अयोग्य नथी लागतुं. पण कथा वर्णवे छे तेटलं सहेलाईथी आ काम थयुं होय एम लागतुं a. कारण के अहिं उदायिननुं मृत्यु एज कंई मुख्य वस्तु नथी, पण तेना वंशनो नंदो द्वारा करवामां आवेलो उच्छेद ए खास प्रसंग छे आने लीधे बधी परिस्थिति अस्तव्यस्त बनी गई हती. ए नन्दो, ज्यां सुधी मौर्योए तेमने सत्ताभ्रष्ट न कर्या त्यां सुधी, राज्य करता रह्या हता. " * [ स्वर्गवासी सुप्रसिद्ध जर्मन विद्वान् प्रो. हेरमान याकोबीए सन् १९३० मां आ निबन्ध मूळ जर्मन भाषामां – BUDDHAS UND MAHAVĪRAS NIRVANA UND DIE POLITISCHE ENTWICKLUNG MAGADHAS ZU JENER ZEIT ए नामे लख्यो हतो अने ते SONDERAUSGABE AUS DEN SITZUNGSBERICHTEN DER PREUSSISCHEN AKADEMIE DER WISSENSCHAFTEN, PHIL-HIST. KLASSE 1930, XXVI मां प्रकाशित थयो हतो. महावीर अने बुद्धना निर्वाण समय विशे नवा दृष्टिबिन्दु साथै ऊहापोह करनारो आ तेमनो छेल्लो निबन्ध छे. - संपादक ] १ परिशिष्टपर्वन् ६, १८९-२३०, आवश्यक कथा, १७, ११, १९ प्रमाणे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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