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________________ १८८] भारतीय विद्या [वर्ष ३ कूणिकने विदेहपुत्ते-प्रसंगत: अजातशत्रुने विदेहिपुत्तो कहेवामां आवतां. एम जणाय के के विदेहना राजाने खास उच्चवंशीय मानवामां आवतो हतो भने तेथी तेनी साधना सगपणना संबंध उपर खास भार मूकवामां आवतो हतो. अन्यपक्षे, जैन आगम परंपरा महावीरना जन्मस्थान वैशाली साथेनो संबंध शोधवा मथे छे, अने नीचे आपेली वंशपरंपरा गोठवे छे. हैहय कुलनो चेटक वैशालीनो राजा छे. एनी बेन महावीरनां माता थाय. एनी पुत्री चेल्लणा श्रेणिकनी पट्टराणी अने कूणिकनी माता थाय. आ वंशपरंपरानो आधार निरयावली सूत्रमा आपेल वर्णन उपर छे. त्यां एम कहेवामां आव्युं छे के श्रेणिकने चेल्लणा उपरांत बीजी अनेक राणीओ हती. दा. त. नन्दा जेनो पुत्र अभय राज्याधिकारी हतो. वळी दश वधारे : काली, सुकाली, वगेरे, जेना काल, सुकाल वगेरे पुत्रो कूणिकना ओरमान भाइओ थता हता. आ तेमनी साथे नक्की करे छे के पोताना पिता श्रेणिकने केदमां नाखवो अने पोते राज्य पचावी पाडवू. श्रेणिकने पदभ्रष्ट करीने राज्यना अगियार भाग पाडवामां आवे छे जेमाथी दरेक एक भाग वहेंची ले छे. कूणिकने भागे चंपा आवे छे. वैशाली माटेनुं युद्ध नीचे प्रमाणे १७-२८मां वर्णवामां आवे छे. कूणिकना नानाभाई वेहल्ल पासे गन्धहस्ती अने एक बहु मूल्यवान हार हतो, जेने लीधे ते एक सारा राजा जेवो दीपतो. तेथी कूणिके आ बे वस्तुओने तेनी पासेथी लई लेवानी इच्छा करी. पण चेहल्ले ते माटे अर्धं राज्य माग्यु. अने ते माटे ज्यारे कूणिके ना पाडी त्यारे वेहल्ल पेली वस्तुओ साथे वैशालीना राजा चेटकने आश्रये नासी गयो. कूणिके एक दूत पाठवी चेटक पासे वेहल्ल अने पेली वस्तुओ सोंपी देवा मागणी करी. चेटके बदला तरीके वेहल्लु माटे अर्धा राज्यनी सामी मागणी करी. व्रण वखत सामसामी दूत मोकलायो पण व्यर्थ. चेटक पोतानी सामी मागणीने वळगी रह्यो अने छेवटे तेणे कूणिक सामे युद्धनुं कहेण मोकल्यु. कूणिके आ समाचार पोताना दश भाइओने जणाव्या.अने एमने पोतपोताना राज्यप्रदेशमां लश्कर एकहुं करी तेने पोताना तरफ रवाना करवा मोकली दीधा. ते एकत्रित सैन्य अंगोना प्रदेशमाथी विदेहोनी भूमिमां वैशाली शहेर आगळ आवी पहोंच्यु. आज प्रमाणे चेटके काशी आनेकोसलमाथी नब मल्लई अने नव लेच्छई गणरायाणो ने मददे बोलाव्या. अने तेमणे हा पाडी एटले तेमने लश्कर एकटुं करी पोताना पक्ष तरफ रवाना थवा तेणे कोण मोकल्यु. छेवटे ते पोते मददगार साथिओ साथे पोताना प्रदेशनी सीमा पर्यंत शत्रुनी सामे गयो. हवे युद्ध शरू थयु. जेमां चेटके कृणिकना काल, सुकाल वगेरे दश ओरमान भाइओने अनुक्रमे पोताना बाणोथी वींधी नाख्या. एटले काल, सुकाल १ जुओ उपर $ १५ २ अभिधानराजेन्द्र कोषमा चेडग, चेल्लणा, सेणिअ उपर आपेली हकीकत जुओ. ३ महावीरे एने पाछळथी धर्म दीक्षा दीधी. दीक्षा पछी ६ मासे ए निर्वाण पाम्यो. अन्तकृद्दसा ३,१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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