SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्यपरीक्षा तिहु अग्गिक सलोणी सत्ति सलूणीहि सुज्झए चिप्पं । इक्कारसीय वन्नी इक्कारस जव भवे सुकसं ॥ १९॥ सय तोल कणय पइए जं घट्टइ सा सलूणियं चिप्पे । चिप्पे दहग्गि पक्के जं घट्टइ तं च कायरियं ॥ २० ॥ चिप्पस्स तिन्नि मासा पत्त करिवि भित्ति कणय सह पइए । स तिहाउ जओ घट्टइ भित्तीओ पढम चासणियं ॥ २१ ॥ पच्छा ति अग्गि पक्के पुणो वि तिय मास भित्ति सह पइए । तेरह विसुव जवस्स य इय अंतरु वीय चासणिए ॥ २२ ॥ परपुन्न दहग्गि पाइ?]ए भित्ति समं हवइ तइय चासणियं । टंकाण चक्कलीयं गहिज्जइ य कणय चासणियं ॥ २३ ॥ ॥ इति सुवर्णशोधना चासनिका च ॥ मेलगइ रुप्प विसुवा दह तेरह सोल ठार उणवीसा । पंच उण चउण तिउणं विउणं सम सीसयं दिजा ॥ २४ ॥ सयल कुदव्वं गच्छइ खरडिंतरि रहइ सेस रुप्पवरं । तं पुण दिवड्ड सीसइ सोहिय हुइ वीस विसुव धुवं ॥२५॥ ॥इति रुप्पसोधना ॥ तुलिय सलूणीयाओ अड्डाइ गुणीय खरडि रुप्पस्स । वट्टेवि मेलि पिंडिय करिज कोमं स चुन्न सहा ॥ २६ ॥ तत्तो करेवि कुट्टिय धमिज घट्टेइ तईय अंसुमलं । हवइ दुभामिस्स दलं तस्साओ अड्डयं कुज्जा ॥ २७ ॥ नीसरइ सयल रुप्पं सीसं तंबं च जाइ खरडि महे । सा खरडि पुण धमिजइ पिहु पिहु नीसरहि दुन्नेवि ॥२८॥ काइरिय पुणो एवं कीरइ तस्साउ तंब सह कणयं । नीसरइ तस्स चिप्पं हुइ सीसं खरडि मज्झाओ ॥ २९ ॥ ॥इति मिश्रदल शोधना॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy