________________
उकुरफेरूविरचिताविहुमु आमिस्साओ चम्माओ पुंसराउ निप्पन्नो। सुक्काउ य भीसम्मो रयणाणं एस उप्पत्ती ॥ ११ ॥ एवं भणंति एगे भू[मि]विकारं इमं च सव्वं च । जह रुप्प कणय तंब य धाऊ रयणा पुणो तह य ॥ १२ ॥ तट्ठाणाओ गहिया निय निय बन्नेहिं नवहि सुगहेहिं। तत्तो जत्थ य जत्थ य पडिया ते आगरा जाया ॥ १३ ॥ सूरेण पउमरायं मुत्तिय चंदेण विहुमं भूमे। मरगयमणीउ बुद्धे जीवेण य पुंसरायं च ॥१४॥ सुक्केण गहिय वजं सणिंदनीलं तमेण गोमेयं । केएण य वेडुजं मुक्का तत्थेव सेस तहिं ॥१५॥ इय रयण नव गहाणं अंगे जो धरइ सच्चसीलजुओ। तस्स न पीडति गहा सो जायइ रिद्धिवंतो य ॥ १६ ॥ पुणु जह सत्थे भणिया अदोस अइचुक्खया गुणड्डा य । ते रयण रिद्धिजणया सदोस धण - पुत्त - रिडिहरा ॥ १७ ॥ जइ उत्तिमरयणंतरि इक्को वि सदोसु कूडु समलु हवे । ता सयलउत्तिमाणं कंतिपहावं हणेइ धुवं ॥ १८ ॥ भणिया मूलुप्पत्ती अओ य वुच्छामि आगराईणि । वन्न गुण दोस जाई मुल्लं सव्वाण रयणाणं ॥ १९॥
वजं जहा
हेमंत सूरपारय कलिंग मायंग कोसल सुरढे। पंडुर विसएसु तहा वेणुनई वजठाणाई ॥२०॥ तंब सिय नील कुक्कुस हरियाल सिरीसकुसुम घणरत्ता । इय वजवन्नछाया कमेण आगरविसेसाओ ॥ २१॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org