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रत्नपरीक्षा का परिचय
सागर के पास स्थित 'जर्बर' पर्वत की पन्ने की खान का उल्लेख करते हैं । इस खान का उल्लेख प्लिनी, कासमास इंडिको प्लायस्टस ( करीब ५४५ ई० ) मासूदी और नवीं सदी के दूसरे अरब यात्री करते हैं। अल इद्रिसी के अनुसार मध्य नील पर अखान से कुछ दूर एक पर्वत के पाद पर पन्ने की खान है । यह खान शहर से बहुत दूर एक रेगिस्तान में है । इस पन्ने की खान की दुनिया की और कोई दूसरी खान मुकाबला नहीं कर सकती । अपने फायदे और निर्यात के लिए यहां काफी आदमी काम करते हैं (पी०ए० जोबर्त्त, अल इद्रिसी, १, पृ०३६), यहां यह भी उल्लेखनीय बात है कि अखान से एक महीने की राह पर मरकता नामक एक शहर था जहां हब्श के लाल सागरवाले किनारे पर स्थित जलेग के व्यापारी रहते थे । यह संभव हो सकता है कि संस्कृत मरकत का नाम शायद इसी शहर से पडा हो पर संस्कृत मरकत की व्युत्पत्ति यूनानी स्मरग्दोस से की जाती है । यह यूनानी शब्द असीरी बर्रक्तू, हिब्रू बारिकेत या बारकत, शामी बोकों का रूपांतर है । अरबी जुम्मुरुद शायद यूनानी से निकला हो ( लाउफर, साइनो इरानिका, पृ० ५१९) लिंक्शोटेन ( २, ५, १४० ) के अनुसार भी भारत में बहुत कम पन्ने मिलते थे। यहां पन्ने की काफी मांग थी और वे मिस्र के काहिरा से आते थे ।
अवलिंद - इस देश का नाम और कहीं नहीं मिलता । पर यहां हम पेरिप्लस - ( ७ ) के अवलितेस की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं जिसकी पहचान बाबेल मंदेव के जल विभाजक से ७९ मील दूर जैला से की जाती है । खाडी के उत्तर में अबलित गांव में प्राचीन अवलितेस का रूप बच गया है । बहुत संभव है कि अवलिंद भी इसी अवलितेस - अबलित का रूप हो । यहां पन्ना तो नहीं मिलता पर संभव है कि जैला के व्यापारी मिस्त्री पन्ना इस देश में लाते रहे हों और उसी के आधार पर अवलिंद -अवलित पन्ने का एक स्रोत मान लिया गया हो ।
मलयाचल – यह दक्षिण भारत का मलयाचल तो हो नहीं सकता । शायद ठकुर फेरू का उद्देश्य यहां गेबेल जर्जर से हो जहां बुद्धभट्ट के अनुसार तुरुष्क यानी गुगुल होता था । बर्बर और उदधि तीर का संकेत भी लाल सागर की ओर इशारा करता है ।
मगध - अगस्तीय रत्नपरीक्षा में मगध में भी पन्ने की खान मानी गई है । मालेट ( रेकार्डस् आफ दि जियालोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, भा० ७ पृ० ४३ ) के अनुसार बिहार के हजारीबाग जिले में पन्ने की एक खान थी ।
रत्नशास्त्रों में पन्ने की चार से आठ छाया मानी गई हैं । अगस्तिमत के अनुसार महामरकत में अपने पास की वस्तुओं को रंगीन कर देने की शक्ति होती थी । मरकत
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