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ठकुर - फेरू - विरचित
पयपीढ - चिन्ह - परिगरभंगे जण - जाण - भिच्चहाणि कमे । छत्त - सिरिवच्छ-सवणे लच्छी - सुह-बंधवाण खयं ॥ २१ पडिमा रउ जा सा कारावय हंति सिप्पि अहियंगा । दुव्वण्णे दव्वविणासा किसोयरा कुणइ दुब्भिक्खं ॥ २२ बहुदुक्ख वक्कनासा हरसंग खयंकरी य नायवा । नयणनासा कुनयणा अप्पमुहा भोगहाणिकरा ॥ २३ कडिहीणायरियहया सुय - बंधव हाइ हीणजंघा य । हीणासण रिद्धिहया धणक्खया हीणकर-चरणा ॥ २४ उताणा अत्थहरा कग्गीवा सदेसभंगकरा | अहोमुहा य सचिंता विदेसगा हवइ नीचुच्चा ॥ २५ विसमासण वाहिकरा रोरकरऽन्नायदव्वनिप्पन्ना | हीणायंगपडिमा सपक्ख- परपक्खकट्ठकरा ॥ २६ उड्डमुही धणनासा अप्पूया तिरियदिट्ठि विन्नेया । अइथदिट्ठि असुहा हवइ अहोदिट्ठि विग्धकरा ॥ २७
भुव सुराण आयुह हवंत केसंत उप्परे जड़ ता । करण-करावण-थप्पणहाराणप्पाण देहया ॥ २८ चवीस जिण नवग्गह जोइणि चउसट्ठि वीर बावन्ना । चउवीस जक्ख-जक्खिणि दह दिहवइ सोले विज्जसुरी ॥ २९ नव नाह सिद्ध चुलसी हरि-हर-बभिद - दाणवाईणं ।
वन्नक - नाम- आयुह वित्थरगंथाउ जाणिजा ॥ ३०
॥ इति परमजैन - श्रीचन्द्राङ्गज- ठकुर - फेरुविरचिते वास्तुसारे farareक्षाप्रकरणं द्वितीयं समाप्तम् ॥
१ दुब्बल । २ चउभव; चउभेअ । ३ सोलस ।
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