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________________ गणितसार-चतुर्थाध्याय वल्लहलि पत्तवल्ली झुंबुक्काकलिय मज्झ झल्लरिया । एयाण य कप्पडओ तह तइय पुडस्स पुण अहिओ ॥ ३२ छायापड चंदोवय सराइ चाजमणियाइ भित्तिपडा । वित्थर दीहे गुणिया सुझंति विणोयचित्त विणा ॥ ३३ दहली जरूइ ताका छज्जय कुत्राय चरख पडिरूवा । छत्तालंव निसाणा ते टिप्पपमाणि नायव्वा ॥ ३४ उद्देस सियावणियं सइ गजि नावार दम्म सोलसगं । चित्तं गजिकि पच्छा दहली जसराइ चेति दुगं ॥ ३५ किमिसं गजिकि चित्ते सुहमे चउवीस थूलि वीसा य । चत्तारि टंक डोरी इग सुत्तं अरुण नीलं वा ॥ ३६ नावार सरज चम्मं नीलारुण कसिण वत्थ तं पयर्ड । सुत्तं नवार सइ गजि निव पउणं इयर सेरद्धं ॥ ३७ . ॥ इति वस्त्राधिकारे गाहा २१ सम्मत्ता॥ थ जंत्राधिकारकरणसूत्रमाहदिणयरग्गि रस तेरे चॅउ[द]सिंदिये जुगें ईसर । इय कुट्ठिहि ख(०) इगाइ इगिगि समहिय लिहि मणहर । कैर निहि सोलर्स तह य उवैहि वसु तिहि दिसि ससिहर । इच्छादलिरू हरिवि कमिण ठवि जंतु मुणहि पर । जा सुन्नु वारि ताणुक्कमिहि जंतरि तबिवरीउ धुय । जा सव्वि गेहि विसम हव सम, सम-विसमाइ समंक जुय ॥३८ .. ॥षट् गृहे जंत्र॥ दाहिण कन्नगाई सत्तहि य खडाइ पंचहि य वामे । देते चउँतीस सुरै सरे मुँणि उणवीस ठार पणेवीसं ॥ ३९ . पणतीस ति चउँ हुँ रवी तेरहे जिण तीसें रिखे सगँवीसं । मणु सतरह दसैं नवं नवं तेविसे पुन्बाइ जन छगिहं ॥ ४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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