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________________ ठक्कुर - फेरू-विरचित सय हत्थि सयल कप्पडि सीवाणि कर दिवदु एगु कत्तरणे । इग दुतिय कोर धुवणे घट्ट पट्टयाइ कमे ॥ १९ सयल खीमेहिं कप्पड समसंख नवार किंचि हीणहिया । दहली जविणा सव्वे थंभाउ सवाइया उदए । २० उदयरस वार विसुवा कमरतले अट्ठ उवरि सव्वेहि । इग भि दु थंभे वा इत्तो सिय कप्पडं भणिमो ॥ २१ सव्वाण पडतोवर जुद्ध उदए गुणिज्ज जा कमरं । पिट्ठी वित्थर दीहं हय अहंस हिय जय वत्थं ॥ २२ मझिम डंडस्साओ चउणं खीमस्स कडयलपवेसो । तस्स दिवड़ा परिही बारसमंसूण चउरंसे || २३ च कर मज्झिम थंभं सोलस कमरं च परिही बावीसं । तस्स खीमस्स पंडिय ! किं जायइ वत्थपरिमाणं ॥ २४ अहंस तह य वट्टे तिउणं कमरं तयद्ध जय दउरं । इय घर हय सीमाणय थंभाउ तनाव चउगुणियं ॥ २५ तंगोटी इग थंभा हिहुवर जुयद्ध उदय गुण वत्थं । थंभा परिहि पणगुण दुगथंभा मज्झ पड अहिया ॥ २६ खरिगह मंडव उवरं उभयदिसे जि कर तस्स अद्भुदयं । तत्तो पणगुण परिही परिहिदलं उदय गुण वत्थं ॥ २७ भित्तिवलय पड दोन्निव दुवार पड बेवि उदयदीहगुणा । इय वत्थं अद्धद्धं मंडव सह वार तह भित्तिं ॥ २८ वारिगह खडटुंसा च्छत्तागारा य· मंडवागारा । एयाणं च तरक्का हिडवर जुद्ध उदयगुणा ॥ २९ इग थंभ छगुण परिही दुथंभ परिही य मज्झ पड अहियं । अहंस जुत्त उदए थंभाउ तनाव पंचगुणा ॥ ३० मीराण वारिग हुइ चिलंग चउरस दु एग थंभा य । सम उदय चउण कमरं विउण परिहि अट्ठमंस हियं ॥ ३१ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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