SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रास्ताविक परिचय [३ सांकलिया द्वारा सम्पादित दोहाद का एक शिलालेख प्रकाशित हुआ है । महमूद बेगड़ा का यह लेख विक्रम सम्वत् १५४५ शक सम्वत् १४१० (१४८८ ई०) का है। इस लेख में दिए हुए वंशानुक्रम और ऊपर दिये हुए पद्यान्तर्गत क्रम को इस प्रकार मिलाया जा सकता है:-- राजविनोद (१४५८-१५११ ई०) दोहाद का शिलालेख (१४८८ ई०) १---साहि मुदफ्फर (१३६२-१४१० ई.) .. १---शाहिमुदाफर २--साहि महम्मद (१) का पुत्र २--महम्मद (१) का पुत्र (तत्पुत्रः) । (तस्मात्समभवत्)। ३--साहि अहम्मदः (१४११-१४४२ ई०) ३--अहम्मद (इसका वंशज) 'तस्यान्वये इसके बाद (ततः)। प्रसूतः' ४--साहि महम्मद (३) का पुत्र (तस्य तनुजः ४---साह महम्मद (३) का पुत्र (तस्मादजातः) '१४४२-१४५१ ई० । भूत्)। ५-महमूदसाहि (४) का पुत्र ४--साह महमूद 'अन्वये जातः' 'तदीयात्मजः' (१४५८-१५११ ई०) । इन वंशावलियों से विदित होगा कि चार पीढ़ी के नाम तो ज्यों के त्यों मिलते हैं केवल महमूद (बेगड़ा) को राजविनोद में तो महम्मद का पुत्र लिखा है 'जीयात्तदीयात्मजः' और दोहाद के शिलालेख में उसको साह महम्मद का वंशज 'तस्यान्वये जातः' लिखा है । डाक्टर साँकलिया ने मुसलमान इतिहासकारों के आधार पर इन सुलतानों का बंशानुक्रम* इस प्रकार लिखा है--(१) मुजफ्फरशाह (मुज़फ्फर १). २--अहमदशाह (अहमद), (३) उसका पुत्र मुहम्मदशाह (मुहम्मद), (४) उसका पुत्र कुतुबुद्दीन (कुतुबुद्दीन अहमदशाह), (५) दाऊद और (६) महमूद १, मुहम्मदशाह का द्वितीय पुत्र । सम्वत् १५८७ में पण्डित विवेकधीरगणि नामक जैन विद्वान ने शत्रुञ्जयतीर्थोद्धारप्रबन्ध नामक एक ऐतिहासिक प्रबन्ध की रचना की है जिसका सम्पादन मुनि श्रीजिनविजयजी ने करके सम्वत् १६७३ में भावनगर की जैन आत्मानन्द सभा द्वारा प्रकाशित कराया है । सम्वत् १५८७ में चित्तौड़ के रहनेवाले ओसवाल जाति के कर्माशाह ने लाखों रुपये खर्च करके । जय के मुख्य मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया और उसका प्रतिष्ठा महोत्सव किया। उस समय वहाँ पर जरात के सुलतान बहादुरशाह का राज्य था । इसी बहादुरशाह की आज्ञा प्राप्त करके यह जीर्णोद्धार कार्य सम्पन्न किया गया था । इसलिये इस ऐतिहासिक प्रबन्ध में गुजरात के इन सुलतानों का संक्षेप में वंश वर्णन दिया गया है । बहादुरशाह, जिसके समय में जीर्णोद्धार कार्य सम्पन्न हुआ, प्रस्तुत राजविनोद काव्य में वर्णित महमूदशाह अर्थात् महमूद बेगड़ा का पौत्र था। इसलिये इसमें इसके वंश का उल्लेख होना स्वाभाविक है । इस ऐतिहासिक प्रबन्ध में गुजरात के सुलतानों के वंशानुक्रम के विषय में निम्नलिखित श्लोक मिलते हैं :-- * एपिग्राफिया इन्डिका, जनवरी १६३८, पृ० २१४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy