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________________ महमूद बेगड़ा का वंश-परिचय [२१ इमारतों व मूर्तियों को तुड़वा दिया। इसके बाद वहीं एक मसजिद बनवाने के विचार से चार महीनों तक फौज को रोके रहा । तदनन्तर, शङ्खोद्धार द्वीप पर चढ़ाई की। वहां के राजा भीम ने २२३ बार युद्ध किया परन्तु अन्त में महमूद का बेड़ा पार उतर गया और बहुत से राजपूत मारे गए । एक छोटीसी नाव में बैठकर भागता हुआ भीम पकड़ लिया गया और अहमदाबाद में लाकर मार दिया गया।' सन् १४७६ ई० की बरसात में सुलतान अहमदाबाद की तरफ गया और शरद ऋतु में मुश्तफाबाद आकर रहने लगा । वहीं आस पास के जंगलों में वह शिकार के लिए निकलता था । कुछ दिनों बाद वह फिर अहमदाबाद आ * गया। एक बार वह शिकार खेलता हुआ अहमदाबाद से ईशानकोण में बारह कोस की दूरी पर वात्रक नदी तक जा पहुंचा । वहाँ उसे ज्ञात हुआ कि लोग जभी तभी लूट पाट कर लेते हैं इसलिए उसके मन में विचार आया कि इस स्थान पर एक नगर बसाया जावे और उसका नाम महमूदाबाद रक्खा जावे। उसी समय नगर की नींव रख दी गई और बहुत जल्दी ही वह बन कर तैयार हो गया। इसके बाद ही हि० स० ८८५ (ई० स० १४८०) में कुछ मुसलमान सरदारों ने महमूद को पदभ्रष्ट करके उसके पुत्र अहमद (मुजफ्फर) को तख्त पर बिठाने का षड्-यन्त्र रचा । सुलतान ने उनका ध्यान बटाने के लिए चम्पानेर पर चढ़ाई करने के विषय में उनसे मंत्रणा की। परन्तु, वे उसकी बातों में न आए । अतः चम्पानेर की चढ़ाई कुछ समय के लिए स्थगित रही । बाद में १४८२ ई० में उसने फिर चम्पानेर पर आक्रमण करने की तैयारयाँ की। परन्तु, उसी समय उसका ध्यान सूरत के दक्षिण में बलसाड़ के जहाजियों की ओर गया जिनका प्रभाव इतना बढ़ गया था कि वे केवल व्यापार ही नहीं करते थे प्रत्युत उनकी ओर से उसके राज्य पर भी हमला होने की आशंका होने लगी थी। महमूद ने खम्भात में एक बेड़ा इकट्ठा किया जिसमें तीरंदाज व बन्दूकें तथा तोपें चलाने वाले सभी लोग थे । यह बेड़ा जहाजों में चढ़कर रवाना हुआ । शत्रुओं के पैर उखड़ गए और सुलतान के बेड़े ने उसका पीछा किया। कुछ देर युद्ध होने के बाद वे मल्लाह और उनके वाहन पकड़ लिए गए। इसी वर्ष के अन्त में उसने चम्पानेर पर चढ़ाई कर दी। हिजरी सन् ८८७ (१४८२ ई०) में समस्त गुजरात व चम्पानेर में वर्षा बहुत कम हुई थी। उसी समय सुलतान की फौज का विशेष अफ़सर मलिक असद अपने लश्कर के साथ चम्पानेर दुर्ग के पास जा पहुँचा। रावल ने भी किले से (१) द्वारका और बेट द्वीपों पर महमूद ने हि० स० ८७८ (ई० स० १४७३) में विजय प्राप्त करके मलिक तोपान को वहाँ का सूबेदार नियुक्त किया और उसको 'फरहतउल मुल्क' का अलक़ाब दिया । ___ बेट का राजा भीम १४७५ में मौलाना समरकन्दी के कहने के अनुसार नगर में चारों तरफ़ घुमाकर टुकड़े टुकड़े करके मार दिया गया (मीराते सिकन्दरी). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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