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________________ अध्याय-४ भक्ति-काव्य ३. प्राप्त पुस्तकों में प्रबंध काव्य भी मिलते हैं जैसे विचित्र रामायण, राधामंगल आदि, परन्तु उपलब्ध ग्रंथों में अधिक रचनाएँ मुक्तक हैं । अनूदित पुस्तकों में महाभारत, रामायण, भागवत आदि सम्मिलित हैं। ४. प्राप्त साहित्य में मत्स्य प्रदेश की परम्परा और प्रचलित पद्धति का विशेष ध्यान रखा है जिसके सुन्दर उदाहरण-महादेवजी को व्याहुलौ, राधामंगल आदि हैं । लीलागों में भी प्रचलित प्रणाली का अनुगमन किया गया है और उन्हें जन-साधारण के निकट की वस्तु बनाया गया है। ५. भक्ति-सम्प्रदाय से सम्बन्धित कुछ मुसलमान भक्त भी हैं, जैसे लालदास, अलीबख्श, अहमद आदि । पुरुषों के अतिरिक्त स्त्रियों की कविता भी प्राप्त हुई जिनमें दयाबाई और सहजोबाई के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। ६. गिरवर विलास, राधामंगल और व्याहुलौ इस प्रदेश की विशेषताएँ हैं। इनका सम्बन्ध इसी प्रान्त से है, किसी अन्य प्रान्त में सम्भवतः इनका इतना अधिक महत्त्व न हो । किन्तु इन ग्रन्थों में जो उत्कृष्ट कोटि का प्रकृतिवर्णन मिलता है, उसका आनन्द सभी प्राप्त कर सकते हैं। यह कहा जा सकता है कि मत्स्य प्रदेश के कवियों द्वारा भक्ति के अनेक अंगों का प्रतिपादन किया गया और उनकी रचनाएँ काव्य तथा भावुकता की दृष्टि से सम्मानपूर्ण स्थान की अधिकारिणी हैं। - - - Jain Education International ernational For Private & Personal Use Only www.jainel www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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