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________________ १ मत्स्य- प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन ३. प्रलीबा द्वारा लिखी कृष्ण की अनेक लीलाएँ' १. मुरली - श्याम की मुरलिया मैं हर लाई अरी हेरी दया श्याम की अरी हांरी माई श्याम की । मैं याकूं नाहक हर लाई ना थी मोरे काम की...... हाय ना थी मोरे काम की । या ब्रज बीच बसुरिया वरनि तें राधे बदनाम की हाय तैं राधे बदनाम की । Jain Education International श्याम की मुरलिया... कलपत कृष्ण मुरलिया कारन मैं नै दया न नाम की मैं पापिन नित पाप कमाये चोर भई ही राम की बस निस दिन भज भैया लै माला हरनाम की श्याम. २. माखन चोर दधि चोरत पकरचो गयो सुरी देखौ माखन चोर । अब आयो है दाव मैं सु तेरो डारू गाल मरोर ॥ तेरी डालूं गाल मरोर चोर तें नित मेरो माखन खायौ । तु रोजीना भगजाय थो सुसरे प्राज दाव मैं प्रायो । चलि तेरी मैया पास ले चलूं भलो भुखमर्यो जायो । ..... ३. स्वाभाविक वर्णन की छटा देखें लालारे मोकूं दही विलोवन दे अरे तू माखन मिसरी लै । दधि को मथनिया सनी परी है बासन धोवन दे | माखन मिलगयो सब भागन में दधि और विलोवन दे ॥ लाला रे मोकूं.. दधि की रेनी जब रस आवै चैन लैन तू दे नहि दिन में रई डबोवन दे । रैनि न सोवन दे ॥ लाला रे मोकं अलीबक्श को दिल धड़कत है मत याहि रोवन दे । लाला रे मोकूं... For Private & Personal Use Only 100 महाराजा अलवर के निजी पुस्तकालय में प्राप्त बड़े आकार के पन्नों वाली इस पुस्तक में सुन्दर स्पष्ट अक्षरों में कृष्ण की अनेक लीलाएँ लिखी गई हैं। १३५ www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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