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________________ २० ] बात बगसीरामजी प्रोहित हीरांकी कर जोड्या राधाकृष्ण, प्रोहित अरज प्रकास । कागद नजरचा कर दीयो, हीरां हेत हुलास ।। १५७ १४. बात - राधाकृष्ण पवास अरजको हुकम लीनुं, कागद प्रोहितकै हाथ में दीनुं । बगसीरांम बांचे छै, मन मोद राचै छै। हेतको प्रकार, कागदका समाचार | दोहा - हीरां यम लषियो हरष, करस्यां पूरण कांम | बिबिध कागद बांचज्यों, रसिया बगसीरांम ॥ १५८ afणियाणी चातुर घणी, आपतणी प्राधीन । बिध बिध क्रपा कर मो घरे, आज्यो बिलंब न कीन ।। १५६ प्रोहित बचन दोहा - पर घर करां न प्रीतड़ी, प्रोहित बचन प्रकास । दाष म्है छां काच दिढ, रमां न धिय रत रास ॥। १६० बोल सुणत तब केसरी, हीरां अग्र विहार । ॥ १६१ कहियां बन मलाय का प्रोहित सुरभै प्रेमसु कर गहै मालुम कीन || १५. बात दूसरो समाचार प्रोहितनै बचायो, मदनमें छायो, कामदेव दरसायो ॥ हीरां बचन दोहा - यम फंद फसिया प्रगट, कसमसियेव सुकांम । घर बसिया आयो घरां, रसिया बगसीरांम ॥ १६२ सिरपै वारूं साहिबा, प्यारा तन मन प्रारण । मो सुगणीरा महल में, रहज्ये प्रोहित रांण ।। १६३ हसज्य कसज्यौ षेलज्यो, लीज्यो जोबन लेह । पलक न न्यारा पोढज्यौ, नाजक धणरा नेह ॥ १६४ श्राप नहीं जो आवस्यौ, हीरों कवण हवाल | महिला पदमण मांणज्यो, जोडीतणा जलाल ॥ १६५ आप नहीं जो ग्रावस्यो, रसिया प्रोहितराय । आपघात मरस्युं श्रवस, मरू कटारी षाय ।। १६६ १६. बात - यण प्रकार कागद प्रोहितने बचायो, समंचार बाचतां हरष आयो । प्रोहित मिलापको बचन कहै छै । केसरी बडारण हेतका कांन दे छै । प्रोहित बच्चन दोहा - कह दीजे तु केसरी, सांचा बचन सुणाय । हीरां हंदा महल में, प्राज्ये रंमाला प्राय ।। १६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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