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बात बमसीरांमजी प्रोहित हीरांकी
[ १७ चष सालगराम सुलछणसी, छवि पूंछ मयोर कि पुछनसी ।। तन रोम प्रभा मषतुलनसी, दरसंत मयंक दरपणसी । उर ढाल छिबंत अोराटकसी, कर षंड बिराजत फाटकसी ।। बण अंग असंभव तेज बली, नट नाच सहोदर जंत्र नली। धर पोड कठोर ध्रमंकत यूं, झल पथर आगि झिमंकत यूं ।। ऊचकत अपार उलटणकी, नटबंत क बालक नटणकी।
अदभुत्त तुरंगम अंगमकै, बर जोड न नीलविडंगमकै ।। १३५ दोहा- अत बल चंचलं सबल अति, अदभुत प्राकृम अंग।
__ रंग तुरंगम रणि रिसक, बणियो नीलबिडंग ।। १३६ छंद ऊधोर- भणिया किम बिडंग, अदभुत प्राक्रम अंग ।
पर पीठ कनक पलांण, तन तंग रेसम तांण ।। चल झुल जरकस चीर, अंतर चिरचत अबीर । ईस बिध बण्यो केकाण, अब कीयो हाजर प्रांण ।। चढि चलै प्रोहित चंग, तम अवर सभट तुरं[ग] रजपूत हैमर रज, धर पोड धड धड धुज ॥ सब चले मिल येक संग, अत्याद बीर अभंग । सब येक रंग समाज, कर गवर ऊछैवे काज ।। घण थाट हेमर घेर, भणकंत त्रंबक भेर । चमकंत बरछीये चोकुल निसांण, भट बिबध प्रावध बांण ।। रस रंग प्रोहित राव, बण बिबध रूप बणाव । बण सुमट घण थट बाज, सोभंत अधक समाज ।।१३७
राजंत बगसीरांम, किये गवर देषण काम । दोहा- असबारी छब अधिक, पीछोले सु पियार ।
रसिया बगसीरांमकुं, निरषत सब नर नारि ।। १३८
१०. वात- प्रोहितकी असवारी पीछोलै पाई। अलबेली नायकाकै मन भाई। अलबेलिया असवार घोडा षिलावै छ, पांच पांच बरछीका टेका दिरावै छै । प्रोहितकी असवारीको घोडो नीलबिडंग फरै छै । नाना प्रकारकी गतामैं ईगांईगां करै छै । केसरिया कसुमल लपेटा पर सोनांका तुररा लटकै छै । भवराईका पेचषवा ऊपर लटकै छै । पीछोलाकै पांणी उपर गुलाबका फूल तिरावै छै । प्रालीजा असवार घुडचडीकी बंदुकां सु हदफां लेजावे छै । रायजादा रजपूतांन ऊदैपुरको लोग घणा रंग दाजै छै, पर ऐ बातां प्रोहित ऊदैपुरमैं अमर राषै छ।
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