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बात बगसीरांमजी शोहित होरांकी
ऊट प्रचंड अनेक अग्राजें उधरें, धरणहर भादुमास के जारौं धरहरें ।। ६ चहुँ तरफ बणि चौहटां अटा वृतंग प्रखंड | घुमडे जाणें घनघटा दमक छटा छवि-डंड । दमक छटा छबिडंड पताका देषिया,
पटा हाट व्यौपार जुहांरां पेषिया । प्रभुषण नर नारि ईसी बिध वोपिया, जाण क सुरपुर लोक इधक छबि जोपिया || ७ पीछोलाको पेषबो मानसरोवर मोज, पांणी भरै छै पदमणी चंदबदनी मुष चोज । चंदबदनी मुष चोज हंसगति चालबो, हाव भाव गावंत हबोलै हालबो ॥ तार जरी पोसाष बीच तन तेहड़ी, इंदपुरी उणियार बिराजै येहडी ॥ ८ बाग अनेक बावड़ी अदभुत फूल अपार, कोयल मोर चकोर पिक जपत भवर गुंजार । जपत भवर गुंजार गुलाबां जूथमें,
लता फूल लपटात तरोवर लूथमैं || अंबा चंबा सुगंध बिराजै येहड़ा, जाणे क बंदरावन बसंत छबि जेहड़ा || 2 दोहा - ऊदयापुर राजें ईसो, राणों भींम सुरिंद |
कोडी जिणरै कैनैं, चावो लिषमीचंद || १० लिषमीचंद किरति लीयें, दे दे दोलत दाव | भाट गुणीजन भोजिगां, पावै लाष पसाव ।। ११ चैत मास पष चांदर, सातम तिथि सकाज ।
र धनिसा बसपत अवर, सुक (भ) नक्षत्र पुषराज ।। १२
उण पुल कन्या अवतरी, पूरब लेष प्रताप । चित बृत लिषमीचंद, उछव घणों प्रमाप ॥ १३
छन्द पधरी - उपजी कोडीधज घरि प्राय, लषमोचंद मन उछ्व लगाय ।
गई निसा भईयो परभात, त दन पंचदुण बीते दिषात ॥ सेठ सबै जोतिस बुलाय, सुभ बीप्र लग्न जोये सुभाय । मिलि गावत कुलतिय. तांन मांन,
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